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सुप्रीम कोर्ट ने एनजेएसी को बताया असंवैधानिक, खास बातें जरूर जानें

नई दिल्ली।

supreme-court-55c19d2f0ad63_lसुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग(एनजेएसी) को खारिज कर दिया है। जस्टिस जेएस केहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने एनजेएसी को असंवैधानिक करार दिया। जजों की नियुक्ति 22 पुराने कॉलेजियम सिस्टम से ही होगी। हालांकि केंद्र सरकार चाहे तो इस मामले को बड़ी बेंच को रेफर कर सकती है।
बेंच ने कहा है कि यह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है। संविधान द्वारा न्यायपालिका को स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है और एनजेएसी एक्ट से इस अधिकार में राजनीतिक हस्तक्षेप का डर होगा।  
पीठ ने 15 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस पीठ में जस्टिस जे. एस. केहर, जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस मदन बी. लोकुर, जस्टिस कुरियन जोजेफ और जस्टिस ए.के. गोयल शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हैरान हूं
 केंद्रीय कानून मंत्री  सदानंद गौड़ा ने कहा, मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हैरान हूं। बिल को संसद के दोनों सदनों ने पास किया था। मैं अपने लॉ ऑफिसर्स और प्रधानमंत्री से इस बारे में चर्चा करूंगा।
सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के दौरान कहा कि एनजेएसी एक्ट न्यायपालिका की स्वतंत्रता में बाधा डालेगा।
तीन खास बातें जरूर जानें
कोलेजियम सिस्टम :
1- किसी उच्च न्यायालय में नए जज की नियुक्ति के लिए उसी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और दो सबसे वरिष्ठ जज नियुक्ति के लिए सिफारिश करते हैं।
2- शॉर्टलिस्टेड उम्मीदवारों की स्क्रूटनी पांच सबसे वरिष्ठ जजों करते हैं, जिसे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करते हैं।
3- सुप्रीम कोर्ट जजों की यही टीम हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों का चुनाव करती है, जो बाद में सुप्रीम कोर्ट में जाते हैं।
एनजेएसी 
1- राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग में दो प्रबुद्ध व्यक्तियों समेत कुल छह सदस्यों का चयन किया जाना था।
2- प्रधान न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश, केन्द्रीय कानून मंत्री और दो प्रबुद्ध व्यक्ति शामिल होते।
3- दोनों प्रबुद्ध व्यक्तियों का मनोनयन प्रधान न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता या प्रतिपक्ष का नेता करते। केंद्रीय कानून मंत्री और दो प्रबुद्ध व्यक्तियों का कार्यकाल तीन-तीन साल का था।
विवाद : तीन वजह
1-केंद्रीय कानून मंत्री का आयोग में सदस्य के रूप में होना।
2- दो प्रबुद्ध व्यक्तियों को एनजेएसी में शामिल किया जाना।
3-आयोग के दो सदस्यों को वीटो से किसी भी नियुक्ति को रोकने की शक्ति।

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