उत्तर प्रदेश में सपा में जारी उठापटक के कारण चुनाव निशान साइकिल विधानसभा चुनाव में बीती बात हो सकती है। दरअसल चुनाव आयोग को चुनाव निशान संबंधी विवाद के निपटारे के लिए 4 से 5 महीने का वक्त लगता है।
ऐसे में जबकि उत्तर प्रदेश में चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कभी भी हो सकता है, तब ऐसी स्थिति में आयोग सपा के दोनों गुटों को अलग-चुनाव निशान और नाम अस्थाई तौर पर उपलब्ध करा सकता है।
दरअसल, उत्तराखंड क्रांति दल के नाम और चुनाव निशान पर दो धड़ों के विवाद निपटाने के समय चुनाव आयोग ने 27 दिसंबर, 2011 को आदेश में कहा था कि पार्टी का नाम और चुनाव निशान अंतिम फैसला आने तक जब्त किया जाये और दोनों धड़ों को अस्थाई तौर पर नाम और चुनाव निशान दे दिया जाये।
चुनाव आयोग के एक अधिकारी के मुताबिक उत्तराखंड क्रांति दल के विवाद के समय भी आयोग को समान परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था। तब भी चुनाव सिर पर था।
गौरतलब है कि सपा के दो फाड़ हो जाने के बाद दोनों गुट चुनाव निशान साइकिल पर अपना दावा जता रहे हैं। इस क्रम में मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को इस निशान पर दावा जताया है। जबकि मुख्यमंत्री अखिलेश गुट मंगलवार को आयोग के पास जा रहा है।