सेना ने तैयार किया POK के आतंकी शिविरों का ब्लू प्रिंट, सीधे हमले का विकल्प
कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले के बाद पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में चले रहे सभी आतंकी शिविरों का ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया गया है। सेना के पास उन पर सीधे हमले का विकल्प मौजूद है।
सूत्रों के अनुसार, सेना के पास उन सभी आतंकी शिविरों के खिलाफ सीधे कार्रवाई करने का विकल्प तो है लेकिन ऐसा होगा या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। अलबत्ता सेना के साक्ष्य जुटाने से एक फायदा यह है कि इस जानकारी को पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल किया जाएगा।
पिछले साल रक्षा मंत्रालय ने 17 शिविरों का ब्योरा पाकिस्तान को सौंपा था, लेकिन पाकिस्तान इससे मुकर गया था। बाद में इन शिविरों के स्थान बदल गए।
पीओके में आतंकी शिवर बढ़ने से घुसपैठ में तेजी
पीओके में आतंकी शिविरों में इजाफे के कारण कश्मीर में पिछले कुछ समय से आतंकी घुसपैठ में बढ़ोतरी हुई है। सेना की खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, पिछले एक साल में वहां आतंकी शिविरों की संख्या करीब दोगुनी हो गई है।
ताजा रिपोर्ट में सेना ने पीओके में 29 से 33 आतंकी शिविर होने की संभावना व्यक्त की है। आतंकी सोशल मीडिया और डिजिटल तकनीकों के जरिये कश्मीरी युवाओं को भड़काकर आतंकी बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। सेना मुख्यालय को हाल ही में भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल तक पीओके में सिर्फ 17 आतंकी शिविर चल रहे थे। तीन बड़े आतंकी समूह लश्कर, जैश और हिजबुल मुजाहिदीन द्वारा ये शिविर चलाए जा रहे हैं। तब इन शिविरों में करीब 400 आतंकियों के प्रशिक्षण प्राप्त करने की सूचना थी। अब शिविरों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ एक हजार से ज्यादा आतंकियों को प्रशिक्षण दिए जाने की खबर है।
आतंकियों की घुसैपठ
पिछले साल सीमा पार से करीब 33 आतंकी कश्मीर में घुसने में सफल रहे, जबकि 2014 में 65 आतंकी घुसे थे। सेना का मानना है कि इस साल घुसपैठ बढ़ी है। 31 आतंकियों को घुसपैठ करते समय मारा गया है, लेकिन आशंका यह जताई जा रही है कि इससे कहीं ज्यादा आतंकी घुसपैठ करने में सफल रहे हैं।
सोशल मीडिया बना कारगर
आतंकी समूहों ने सोशल मीडिया के जरिये भर्ती अभियान छेड़ रखा है। दूसरे, युवाओं तक पहुंचने के लिए व्हाट्स एप जैसी डिजिटल तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। वे पहले युवाओं को अतिवाद के लिए गुमराह करते हैं। फिर मन में आतंक भरा जाता है। फिर उन्हें ट्रेनिंग के लिए पीओके बुलाया जाता है। इसमें कश्मीर के साथ-साथ पाक अधिकृत कश्मीर के गुमराह युवा शामिल हैं।
विरोध-प्रदर्शन से शुरुआत
कश्मीर में होने वाले विरोध-प्रदर्शन में सोशल मीडिया और व्हाट्स एप, मैसेज आदि का इस्तेमाल होता है। इसके जरिये नौजवानों को भड़काया जाता है। दरअसल, आतंकी संगठन अलगाववादियों की मदद से यहीं से उन्हें गुमराह करने की शुरुआत करते हैं। यानी पुलिस, सेना और सरकार के खिलाफ युवाओं को भड़काना उनका पहला कदम है।