सोयाबीन की 30 फीसदी फसल की स्थिति खराब: सोपा
इंदौर: प्रसंस्करणकर्ताओं के एक संगठन ने कहा कि मौसम के कहर और खरपतवार व कीटों के प्रकोप के कारण देश में खरीफ के मौजूदा मौसम के दौरान सोयाबीन की लगभग 30 प्रतिशत फसल की हालत फिलहाल खराब है। यहां सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के एक पदाधिकारी ने हालिया सर्वेक्षण के हवाले से बताया कि खरीफ के इस मौसम में देश में करीब 114 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की गई। इसमें से लगभग 34 लाख हैक्टेयर में फसल की स्थिति अलग-अलग कारणों से खराब है। सर्वेक्षण के मुताबिक देश के जिन इलाकों में सोयाबीन की फसल की स्थिति अपेक्षाकृत ज्यादा खराब है, उनमें मध्यप्रदेश का मालवा-निमाड़ अंचल और महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र शामिल हैं। सर्वेक्षण में कहा गया कि देश के कुछ सोयाबीन उत्पादक इलाकों में फसल की बुआई के बाद वर्षा नहीं हुई। इसके साथ ही, खेतों में खरपतवारनाशक का छिड़काव नहीं किया जा सका। इससे खरपतवार असामान्य रूप से बढ़ गये। कुछ इलाकों में कीटों का भी प्रकोप देखा गया। देश के सबसे बडे सोयाबीन उत्पादक मध्यप्रदेश में इस बार करीब 59 लाख हैक्टेयर मेेें सोयाबीन की बुआई की गई। इसमें 40 लाख हैक्टेयर में फसल फिलहाल सामान्य हालत में है, जबकि शेष 19 लाख हैक्टेयर में फसल की स्थिति खराब है। महाराष्ट्र में खरीफ के इस मौसम में सोयाबीन का रकबा 35.78 लाख हैक्टेयर रहा। इसमें से करीब 25 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन की फसल की स्थिति सामान्य है, जबकि शेष 10.78 लाख हैक्टेयर में फसल खराब हालत में है। राजस्थान में सोयाबीन के 10.97 लाख हैक्टेयर के रकबे में से करीब 97 हजार हैक्टेयर में फसल की स्थिति खराब है। देश के अन्य राज्यों में 8.38 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया जिसमें से 3.38 लाख हैक्टेयर में फसल की स्थिति खराब है। सोपा के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 के खरीफ सत्र में देश में करीब 110 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन बोया गया, जबकि इस तिलहन फसल की पैदावार तकरीबन 100 लाख टन रही थी।