स्कूल तक का सफर मौत के साए में
चतरा जिला में एक गांव ऐसा है, जहां के बच्चे बरसात के दिनों में जान-जोखिम में डालकर नदी तैर कर स्कूल जाते हैं. इन बच्चों का जीवन बरसात के दिनों में हमेशा मौत के साये में रहता है. नदी पार के करने के क्रम यदि नदी की धार तेज रहती है तो मौत भी हो जाती है. लेकिन इन बच्चों को पढ़ा लिखा कर किसी मुकाम तक पहुंचाने का माता पिता का ख्वाब दिल पर पत्थर रख कर जिगर के टुकड़ों को स्कूल भेजने के लिए मजबूर कर देता है.
नदी छोड़ कर दूसरा कोई रास्ता नहीं
झारखंड के चतरा जिला मुख्यालय से तकरीबन सत्तर किलोमीटर की दूरी पर यादव नगर टंडवा पंचायत है. इस पंचायत के जमुनियाटांङ, भेङही, एसनाही, कुशहा गांव के करीब पच्चीस बच्चे और बच्चियां स्कूली शिक्षा के लिये नदी पार कर स्कूल जाते हैं. हालांकि इस गांव के सभी बच्चे पढ़ना चाहते हैं, लेकिन मात्र पच्चीस बच्चे ही जान जोखिम में डालकर स्कूल तक पहुंच पाते हैं. दरअसल गांव से तकरीबन पांच किलोमीटर की दूरी पर स्कूल है और जाने का कोई रास्ता नहीं है.
दो जाेड़ी कपड़े लेकर स्कूल जाती बेटियां
स्कूल जानेवाली नौंवी की छात्रा कविता कुमारी कहती है कि हर साल बरसात के समय नदी में काफी पानी आ जाता है. इस कारण नदी पार कर स्कूल जाना पड़ता है. उसने बताया कि स्कूल जाने के लिए दो ड्रेस रखनी पड़ती है. नदी पार करने के बाद दूसरी ड्रे पहननी पड़ती है. गांव के छोटे-छोटे बच्चे भी नदी पार कर स्कूल जाते हैं. जमुनियांटांड़ और आस पास के लोगों को करुरवा नदी पार कर स्कूल जाते हैं और ये गांव बारिस में पूरी तरह से टापू बन जाता है.
सुविधा विहीन टापू से गांव
दरअसल जमुनियांटांड़ और आसपास के कई गांव नदियों से घिरे हुए हैं. ग्रामीण भुनेश्वर यादव कहते हैं कि स्कूल जाने के साथ-साथ ही लोगों को बाजार के लिये भी नदी पार करना पड़ता है. इतना ही नहीं महिलाएं अपने-अपने बच्चों को लेकर नदी पार कर ही पंचायत मुख्यालय तक पहुंच पाती है. क्षेत्र के जिला परिषद सदस्य अरुण यादव कहते हैं कि मुलभूत सुविधायें आज तक प्रतापपुर प्रखंड के इन गांवों तक पहुंच नहीं पायी हैं. न सड़क, न पुल, न ही स्कूली शिक्षा की व्यवस्था.
जिम्मेवारों को खबर तक नहीं
जबकि डीसी संदीप सिंह का कहना है कि नदी पार कर स्कूल जाने की जानकारी ईटीवी के माध्यम से ही मिली है और प्रतापपुर प्रखंड के बीडीओ से इस मामले में रिपोर्ट मांगी जाएगी. उन्होंने कहा कि यदि जरुरत हुई तो गांव के लोगों के लिये पुल जरुर बनेगा.
बहरहाल, चतरा जिला राज्य का उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र है और सबसे हैरानी की बात है इस जिले की विकास को लेकर केन्द्र से लेकर राज्य सरकार की कई योजनाएं चलती हैं. गांव के बच्चे पढना चाहते हैं लेकिन सरकार के स्तर पर कोई व्यवस्था नहीं और शायद यही वजह है कि इन क्षेत्रों में उग्रवादी संगठन अपनी सक्रियता रहती है.