स्क्रब टाइफसः अब जागरूकता ही है सबसे बड़ी समझदारी!
मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के साथ ही अब स्क्रब टाइफस इंफेक्शन के लिए भी सतर्क होने की जरूरत है. दरअसल, ये एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो कि की़ड़े के काटने से होता है. जानिए, क्या है स्क्रब टाइफस और कैसे इससे बच सकते हैं.
क्या है स्क्रब टाइफस-
स्क्रब टाइफस एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो जानलेवा है. इसके लक्षण चिकनगुनिया जैसे ही होते हैं. पिछले साल 150 लोग इससे इंफेक्टिड थे. यदि इस रोग का इलाज न किया जाए तो 35 से 40% मामलों में मृत्यु की आशंका रहती है.
स्क्रब टाइफस के लक्षण-
- स्क्रब टाइफस की शुरुआत सिरदर्द और ठंड के साथ बुखार से हो सकती है.
- रोग बिगड़ने पर बुखार तेज हो जाता है और सिरदर्द भी असहनीय होने लगता है.
- यह रोग हल्के-फुल्के लक्षणों से लेकर लिंग फेल्योर तक का भी कारण बन सकता है.
- कुछ मरीजों में पेट से शुरू हुई खुजली या चकत्ते अन्य अंगों तक फैलने लगता है. कई बार तो यह चेहरे पर भी हो जाता है.
- स्क्रब टायफस के लक्षणों की जांच करते समय मलेरिया, डेंगू, लेप्टोस्पायरोसिस आदि रोगों से भी तुलना की जाती है.
- यह बीमारी छह से 21 दिनों तक स्लिपिंग मोड में रहती है. शुरुआत में बुखार, सिरदर्द और खांसी संबंधी लक्षण होते हैं.
- हल्के इंफेक्शन वाले मरीज बिना किसी अन्य लक्षण के ठीक हो सकते हैं.
क्या कहती हैं रिसर्च-
कई अध्ययनों में यह साबित हुआ है कि इस रोग के इलाज में टेट्रासाइक्लिन के साथ कीमोप्रोफिलेक्सिस बेहद प्रभावशाली रहती है. जिन इलाकों में पिस्सू अधिक पाए जाते हों, वहां के लोगों को त्वचा और कपड़ों पर कीट भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का प्रयोग करना चाहिए. कपड़ों और बिस्तर आदि पर परमेथ्रिन और बेंजिल बेंजोलेट का छिड़काव करना चाहिए.
स्क्रब टायफस की रोकथाम के उपाय-
- उन जगहों पर जाने से बचें, जहां पिस्सू बड़ी संख्या में मौजूद रहते हैं.
- ऐसे स्थानों पर जाना ही पड़े तो खुद को कवर करके रखें.
- खुली त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए माइट रिपेलेंट क्रीम लगा लें.
- जो लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते या काम करते हैं, उन्हें डॉक्सीसाइक्लिन की एक साप्ताहिक खुराक दी जा सकती है.