स्त्री रखती है घर में सुख-शांति
हमारे समाज में स्त्री को लक्ष्मी मानकर पूजा की जाती है। इतना ही नहीं घर की स्त्री को अन्नपूर्णा का दर्जा भी दिया जाता है। लक्ष्मी पूजा शायद इसी स्त्री की पूजा है। स्त्री ही कठिन परिश्रम के द्वारा तिनका-तिनका जोड़कर अपना घर बनाती है। किस तरह घर की साफ-सफाई से लेकर परिवार के खान-पान, स्वास्थ्य और खुशी का ध्यान रखती है। घर में धन-धान्य आने का प्रतीक वहां की गृहलक्ष्मी ही हैं। अगर घर की लक्ष्मी निम्न उपायों का पालन करे तो घर ऐसा बनाया जा सकता है कि वहां से वैभव,खुशी,सुख-शांति कभी रूठकर कभी नहीं जाती।
– जो स्त्री पति का सम्मान करती है, पति की आज्ञा का उल्लंघन नहीं करती, घर में सबको भोजन कराकर, फिर भोजन करती है। उसी स्त्री के घर में सदैव लक्ष्मी का निवास बना रहता है।
– जो स्त्री सुन्दर, हिरनी के समान नेत्र वाली, सुन्दर केश श्रृंगार करने वाली, धीरे चलने वाली और सुशील हो, उसके घर में लक्ष्मी निवास करती है।
– जो अनाज का सम्मान करते हैं और घर में आये हुए अतिथि का, घर वालों के समान ही स्वागत सत्कार करते हैं उसके घर में लक्ष्मी स्थिर रूप से रहती हैं।
– जो स्त्री नियमित रूप से गाय की पूजा करने के उपरांत गोग्रास निकोलती है उस पर लक्ष्मी की विशेष दया रहती है।
– प्रसन्न चित्त, मधुर बोलने वाली, सौभाग्यशालिनी, रूपवती सुन्दर और सुरूचिपूर्ण वस्त्र धारण किये रहने वाली, प्रियदर्शना और पतिव्रता स्त्री के घर में लक्ष्मी का निवास रहता है।
– जिस गृहलक्ष्मी के घर में मन्त्र सिद्ध श्रीयंत्र, कनकधारा यंत्र, कुबेर यंत्र स्थापित हों, उनके घर में लक्ष्मी पीढ्यिों तक निवास करती है।