स्मार्ट फोन की बढ़ती लत किशोरों के लिए खतरा
आजकल तकनीक का जमाना है और सभी लोग इंटरनेट और स्मार्ट फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। आजकल की बदलती जीवनशैली में इंटरनेट और डिजिटल डिवाइस लोगों के जीवन का उतना ही जरूरी हिस्सा बन चुके हैं, जितना कि रोटी, कपड़ा और मकान. हालांकि विज्ञान का दिया हुआ वरदान किशोरों पर भारी पड़ रहा है।
हाल ही में एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि टीनेजर्स में स्मार्ट फोन की बढ़ती लत उनके जीवन को खतरे में डाल रही है।
रिपोर्ट के अनुसार स्मार्ट फोन और कंप्यूटर के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से टीनेजर्स अवसाद के शिकार होते जा रहे हैं। यही अवसाद उनके जीवन तक को समाप्त कर रहा है।
इस अध्ययन में रिसर्चर्स ने 5,00,000 किशोरो द्वारा दिए गए जवाबों को शामिल किया है। इसमें पाया गया है कि लड़कों के मुकाबले लड़कियां अवसाद की ज्यादा शिकार होती हैं। इतना ही नहीं बल्कि साल 2010 से लेकर 2015 तक, 13 से 18 की उम्र वाली लड़कियों में आत्महत्या करने वालों की संख्या 65 फीसदी तक बढ़ी है।
साथ ही आत्महत्या के बारे में सोचने, आत्महत्या के प्रयास करने और योजना बनाने वाली लड़कियों कि संख्या में पिछले कुछ सालों में 12 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है जबकि अवसाद में आने वाली किशोरियों की संख्या 58 फीसदी तक देखी गई हैं।
शोधकर्ताओं ने बताया है कि पिछले 5 सालों में किशोरों की जीवनशैली में बहुत हैरान कर देने वाला बदलाव आया है। आजकल किशोर अपना ज्यादा समय मैदान पर खेलने के बजाए स्मार्ट फोन और इंटरनेट पर गुजारते हैं। डिजिटल डिवाइस के नेगेटिव असर के कारण टीनेजर्स मानसिक तनाव के शिकार होते जा रहे हैं। साथ ही स्टडी के रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि जो टीनेजर्स अपना ज्यादा समय आउटडोर गेम्स, सोशल इंटरेक्शन, पढ़ाई, व्यायाम में लगाते हैं, वो लोग अवसाद के कम शिकार होते हैं।