राज्य

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही,7 मौतों के बाद टीम पहुंची, देरी से और 8 जानें गई

बिलासपुर: सूरजपुर जिले के चांदनी-बिहारपुर में मलेरिया फैलने के संकेत पहले ही मिल गए थे। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने मौतों का आंकड़ा बढ़ा दिया। इलाके में 23 जुलाई से बीमारी से मौतों का सिलसिला शुरू हुआ। चार दिन में ही चार लोगों की मौत हो गई। फिर भी विभाग नहीं जागा।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही,7 मौतों के बाद टीम पहुंची, देरी से और 8 जानें गई– 27 जुलाई को एक दिन में तीन लोगों की मौत होने के बाद हड़कंप मचा। प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग हरकत में तो आया लेकिन तब बहुत तक देर हो चुकी थी। मलेरिया से मौतों का आंकड़ा पंद्रह पहुंच गया।
इलाके में पंद्रह मौतों के बाद लोग अब दहशत में हैं। मेडिकल कैंपांे में बीमारों की संख्या में कम नहीं हो रही। इन गांवों में भास्कर की टीम पहंुची तो स्थिति गंभीर थी।
– बीमारी फैलने से लोग खेती किसानी छोड़ मेडिकल कैंपों के चक्कर लगा रहे हैं। मलेरिया सेंसटिव चांदनी-बिहारपुर इलाका बारिश के दिनों में हाई एलर्ट पर रहता है लेकिन इस बार शुरूआत में ही चूक हुई। सबसे ज्यादा प्रभावित कोल्हुआ से ही मौत का सिलसिला शुरू हुआ और स्वास्थ्य विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
– हफ्ते भर में 7 मौतों के बाद 28 जुलाई को कलेक्टर पहुंचे और मेडिकल टीमें इलाके में सक्रिय कर दी गई। बिहारपुर के अलावा कोल्हुआ बेस कैंप इसी दिन शुरू हुआ। अब तक साढ़े चौदह हजार लोगों की जांच हो चुकी है। मलेरिया पीड़ितों की संख्या करीब 13 सौ तक पहुंच गई है।
इधर स्वास्थ्य विभाग का कहना-स्थिति काबू में
मलेरिया पीड़ितों की संख्या बढ़कर 13 सौ पहुंच गई है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम जीके नायक ने बताया कि पिछले तीन-चार दिनों से इलाके में स्थिति नियंत्रण में है। मलेरिया के नए केस भी कम आ रहे हैं। बिहारपुर, कोल्हुआ सहित गांवों में टीम को मलेरिया के पांच-सात केस ही मिल रहे हैं। यह नार्मल स्थिति कही जा सकती है।
कई गांव नेटवर्क से दूर, सूचना भी मिलती है देर से
ओड़गी से 70 किमी दूर बिहारपुर और कोल्हुआ के कुछ हिस्से को छोड़ वहां मोबाइल नेटवर्क की समस्या है। दूरस्थ इलाकों में बीमारी फैलने के बाद इसकी सूचना मुख्यालय तक पहंुचने में भी समय लगा। छतरंग, लूल, रसौकी, बैजनपाट सहित कई गांव ऐसे हैं जहां से सूचना जल्दी नहीं मिल पाती।
सिर्फ एक एमबीबीएस डाक्टर, पर्याप्त स्टाफ नहीं
बिहारपुर पीएचसी में एक एमबीबीएस सहित एक असिस्टेंट मेडिकल आफिसर एवं एक आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी नियुक्त हैं। इसके अलावा खैरा, नवाटोला, बिहारपुर, मोहरसोप, पासल, उमझर, महुली एवं ठाड़पाथर में उप स्वास्थ्य केंद्र खोले गए हैं। इन केंद्रों में एक एएनएम एवं एक एमपीडब्ल्यू की नियुक्ति होनी चाहिए। आठ केंद्रों में 16 की जगह वर्तमान में 13 वर्कर्स ही हैं। हकीकत यह है कि बिहारपुर को छोड़ बाकी उप स्वास्थ्य केंद्रों में नियुक्त स्वास्थ्यकर्मी गिने-चुने दिन ही महीने में नजर आते हैं। बाकी समय इन केंद्रों में ताला ही लटका रहता है। स्टॉफ नियुक्त किए जाने की मांग की जाती रही है।

Related Articles

Back to top button