बदरीनाथ धाम के कपाट आज मंगलवार को शाम चार बजकर 35 मिनट पर शीतकाल के लिये बंद कर दिए जाएंगे।
इस मौके का साक्षी बनने के लिए करीब डेढ़ हजार श्रद्धालु सोमवार देर शाम तक बदरीनाथ धाम पहुंच चुके हैं। बीकेटीसी का मानना है कि मंगलवार सुबह तक यह आंकड़ा पांच हजार तक पहुंच सकता है। सोमवार शाम को धाम में रावल ईश्वरन नंबूदरी ने माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना संपन्न की।
मंगलवार को बदरीनाथ के कपाट दिनभर श्रद्घालुओं के दर्शनार्थ खुले रहेंगे। कपाट बंद होने की तैयारियों को लेकर बदरीनाथ मंदिर को करीब 20 कुंतल गेंदे के फूलों से सजाया गया है। बताया गया कि कपाट बंद होने के दौरान मुख्यमंत्री हरीश रावत भी मौजूद रहेंगे।
इस मौके का साक्षी बनने के लिए करीब डेढ़ हजार श्रद्धालु सोमवार देर शाम तक बदरीनाथ धाम पहुंच चुके हैं। बीकेटीसी का मानना है कि मंगलवार सुबह तक यह आंकड़ा पांच हजार तक पहुंच सकता है। सोमवार शाम को धाम में रावल ईश्वरन नंबूदरी ने माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना संपन्न की।
मंगलवार को बदरीनाथ के कपाट दिनभर श्रद्घालुओं के दर्शनार्थ खुले रहेंगे। कपाट बंद होने की तैयारियों को लेकर बदरीनाथ मंदिर को करीब 20 कुंतल गेंदे के फूलों से सजाया गया है। बताया गया कि कपाट बंद होने के दौरान मुख्यमंत्री हरीश रावत भी मौजूद रहेंगे।
बदरीनाथ के रावल मां लक्ष्मी की सखी के रुप में स्त्री वेश धारण कर माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा को बदरीनाथ गर्भगृह में ले जाते हैं।
इससे पूर्व गर्भगृह से भगवान उद्धव, कुबेर व गरुड़ की उत्सव मूर्तियों को चांदी की डोली में रखा जाता है। इस दौरान धृत लेप कंबल को भगवान बदरीविशाल और मां लक्ष्मी को ओढ़ाया जाएगा। इसी के साथ कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
कपाट बंद होने से पूर्व कब क्या होगा
रात्रि 2.30 बजे – श्री बदरीनाथ जी का अभिषेक और फूलों से श्रृंगार।
तड़के 3.00 बजे – श्री बदरीनाथ जी की पूजाएं शुरु।
सुबह 3.15 बजे – आम श्रद्धालुओं द्वारा श्री बदरीनाथ जी के दर्शन।
सुबह 11.00 बजे – धर्माधिकारी और वेदपाठियों द्वारा स्वस्ति वाचन।
अपराह्न 3.00 बजे – रावल द्वारा स्त्री वेश धारण कर मां लक्ष्मी का गर्भगृह में प्रवेश।
अपराह्न 4.15 बजे – बदरीनाथ जी के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरु।
अपराह्न 4.35 बजे – बदरीनाथ जी के कपाट शीतकाल के लिए बंद।