हनुमानजी को इन्होंने बताया था लंका का रास्ता
प्राचीन धर्म ग्रंथों में लंका को ‘स्वर्ण आकार संवीत’ और ‘हेम तोरण संवृता’ कहा गया है। हनुमानजी के बारे में ऐसी कई बातें हैं जो बहुत कम जानते हैं। जैसे कि तोर्वे रामायण के अनुसार रावण की लंका जाते समय हनुमानजी लंका से सात सौ योजन दूर महर्षि तृणबिन्दु के आश्रम में जा पहुंचे।
उन्होंने ऋषि से मिलकर सीता के अपहरण के बारे में बताया। लेकिन वो हनुमानजी की शक्ति से परिचित नहीं थे, तब हनुमानजी ने उन्हें पद्मासन में बैठे ऋषि को हवा में उठा दिया। तब ऋषि ने बताया कि लंका उत्तर में है। इस तरह लंका में हनुमानजी का प्रवेश हुआ।
आनंद रामायण में वर्णित है कि, मैरावण जिसे महिरावण जब श्रीराम और लक्ष्मण को बंदी बनाकर अपनी राजधानी महाकावती ले जाता है। वह दोनों राजकुमारों की बलि निकुम्भिला देवी के मंदिर में देने ही वाला होता है, तब हनुमानजी वहां पहुंचते हैं और राम-लक्ष्मण को बचाते हैं। इसके बाद वह अपने पुत्र को मकरध्वज को पाताल लंका का राजा बना देते हैं।
भावार्थ रामायण में उल्लेखित है कि, लंका के एक उपनगर में रावण की बहन और घर्घरासुर की विधवा पत्नी 1800 सौ दासियों के साथ निवास करती थी। यहां हनुमानजी ने क्रौच का वध कर दिया। यही पौराणिक कथा श्रीराम विज(मराठी) में भी दोहराई गई है।