हमारे जीवन की मुश्किलों को दूर करता है रुद्राक्ष, जानिए इसे धारण करने का नियम !
कालसर्प दोष के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए पूजा, दान आदि कई उपाय किए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि केवल सही रुद्राक्ष धारण करके भी कालसर्प योग के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, जानिए कौन-सा कालसर्प दोष तो कितने मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए…
# प्रथम भाव में बनने वाले कालसर्प योग के लिए एकमुखी, आठमुखी या नौ मुखी रुद्राक्ष काले धागे में डालकर गले में धारण करना चाहिए।
# दूसरे भाव में बनने वाले कालसर्प योग के लिए पंचमुखी, आठमुखी और नौमुखी रुद्राक्ष गुरुवार को काले धागे में डालकर गले में पहनें।
# यदि कालसर्प योग तीसरे भाव में बन रहा हो तो तीनमुखी, आठमुखी और नौ मुखी रुद्राक्ष लाल धागे में मंगलवार को धारण करें।
# चतुर्थ भाव में यदि कालसर्प योग हो तो दोमुखी, आठमुखी, नौमुखी रुद्राक्ष सफेद धागे में डालकर सोमवार की रात में धारण करें।
# पंचम भाव में बनने वाला कालसर्प योग हो तो पंचमुखी, आठमुखी, नौमुखी रुद्राक्ष पीले धागे में गुरुवार को गले में पहनें।
# छटे भाव के कालसर्प योग के लिए मंगलवार को तीनमुखी, आठमुखी और नौमुखी रुद्राक्ष एक लाल धागे में पहनें।
# सप्तम भाव में कालसर्प योग हो तो छहमुखी, आठमुखी और नौमुखी रुद्राक्ष एक चमकीले या सफेद धागे में पहनना चाहिए।
# अष्टम भाव में कालसर्प योग बन रहा हो तो नौमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
# नवम् भाव में कालसर्प योग हो तो गुरुवार को दोपहर में पीले धागे में पांचमुखी आठमुखी या नौमुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
# दसवे भाव में कालसर्प योग हो तो बुधवार की शाम चारमुखी, आठमुखी या नौमुखी रुद्राक्ष हरे रंग के धागे में डालकर गले में पहनें।
# ग्यारहवे भाव में यदि कालसर्प योग हो तो एक पीले धागे में दशमुखी, तीनमुखी या चारमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
# यदि बारहवें भाव में कालसर्प योग हो तो शनिवार की शाम को सातमुखी, आठमुखी या नौमुखी रुद्राक्ष पहनना लाभदायक रहता है।
रुद्राक्ष पहनने से पहले जान ले ये बात –
पहले किसी विद्वान पंडित को अपनी जन्मकुंडली दिखाकर ये पता लगाएं कि आपकी जन्मकुंडली के किस भाव में कालसर्प योग बन रहा है। उसके बाद कालसर्प दोष शांति की पूजा के बाद ये रुद्राक्ष धारण करें।