हमेशा से ही धरती पर मौजूद हैं हनुमान जी, जानिए किस पूजा से होते हैं शीघ्र प्रसन्न…
सनातन परंपरा में हनुमत भक्ति के बारे में मान्यता है कि जो कोई व्यक्ति श्रद्धा भाव से हनुमान जी की साधना करता है, देवाधिदेव श्री बजरंग बली उसे अपनी उपस्थिति का अहसास जरूर कराते हैं। हनुमान जी को सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाला देवता माना जाता है। श्री हनुमान जी भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार और रामजी के परम भक्त हैं। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि भगवान हनुमान के उपासक को कभी राहु और शनिदोष की पीड़ा नही सहनी पड़ती है। यही कारण है कि देश में शायद ही ऐसा कोई कोना हो जहां श्री हनुमान जी का पावन धाम न मौजूद हो। देश में हनुमान जी की अद्भुत शक्ति् और भक्ति से जुड़े कई पावन धाम हैं, जिनके दर्शन मात्र से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होने लगती हैं।
हर युग में रहें हैं मौजूद
सप्त चिरंजीवी में से एक हनुमान जी हर युग में पृथ्वी पर मौजूद रहे। जैसे हनुमान जी ने जहां रामायण काल में राम जी की सेना का नेतृत्व किया था वहीं महाभारत काल में उनकी भीम से मुलाकात का प्रसंग मिलता है। भीम के साथ हनुमान जी ऐसे समय में मिले जब महाभारत युद्ध की संभावना बनने लगी थी। उस समय हनुमान जी ने भीम को वचन दिया था कि युद्ध के समय वह अर्जुन की रथ पर रहेंगे और विजयी बनाने में सहयोग करेंगे।
दौड़े चले आते हैं बचाने
हनुमान जी एकमात्र ऐसे देवता हैं, जिनका नाम जपने से ही कैसा भी कष्ट हो दूर हो जाता है और मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। हनुमानजी की भक्ति सबसे सरल और जल्द ही फल प्रदान करने वाली है। जीवन में जब कभी भी भय, भूत, बाधा आदि से परेशान हों तो एक बार हनुमान जी का सुमिरन अवश्य करें। श्रद्धा और भक्ति से हनुमान जी को याद करने पर वह अपने भक्तों को बचाने के लिए दौड़े चले आते हैं। श्री हनुमान जी धर्म मार्ग पर चलने वाले भक्त की हर कदम पर मदद करते हैं।
इन पर बरसती है हनुमत कृपा
यदि आप तमाम तरह के संकटों से घिरे हुए हैं और तमाम कोशिशों के बावजूद आपकी समस्याओं का कोई हल नहीं निकल रहा है। लाख प्रयास के बावजूद जीवन में सुख-शांति नहीं मिल पा रही है और आपको मृत्युतुल्य कष्ट हो रहा हो तो ऐसी स्थिति में आपको सिर्फ और सिर्फ हनुमान जी की साधना-आराधना ही उबार सकती है। हनुमान जी की शरण में जाते ही आपकी आधी समस्याएं स्वत: समाप्त हो जाएंगी।
हनुमान चालीसा की चमत्कारी चौपाईयां
हनुमान जी की कृपा पाने का सबसे सरल और सुगम उपाय है हनुमान चालीसा। बजरंगी के गुणों का बखान करने वाली हनुमान चालीसा पढ़ने वाले पर हनुमान जी की कृपा बरसती है और उसके साथ कभी कोई अनहोनी नहीं होती है। हनुमान चालीसा की प्रत्येक चौपाई अपने आप में एक महामंत्र है, जिसे पढ़ने मात्र से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और बिगड़े काम बन जाते हैं।
स्मरण शक्ति और बौद्धिक क्षमता बढ़ाने वाली चौपाई
तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा में प्रत्येक चौपाई का अपना अलग-अलग महत्व है और इसका अलग-अलग मनोकामनाओं के लिए जाप किया जाता है। जैसे — श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥ बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार।। हनुमान चालीसा के इस दोहे का पाठ से सााधक की स्मरण शक्ति और बौद्धिक क्षमता बढ़ती है। इसे जपने से उसे निरोगी और स्वस्थ रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जब दूर करना हो रोग और दोष
यदि आप किसी रोग या दोष से पीड़ित हैं तो नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥ चौपाई का पाठ करने से इनसे मुक्ति मिलती है। स्वास्थ्य संबंधी परेशानी में इन चौपाई का जप लाभप्रद माना गया है। इसी तरह संकटों से मुक्ति के लिए हनुमान चालीसा की छब्बीसवीं चौपाई यानी — संकट तै हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥ का पाठ करना लाभप्रद होता है। इस चौपाई का पाठ करने से किसी भी प्रकार का ग्रह दोष या किसी अन्य कारणों से जीवन कठिनाई भरा प्रतीत हो रहा हो तो इंसान उस मुश्किल के भंवर से बड़ी आसानी से निकल जाता है।
इससे पूरी होगी मोक्ष की कामना
जो लोग अपने अंतकाल में स्वर्ग या मोक्ष की कामना करते हैं, उनके लिए अंतकाल रघुवरपुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई॥ चौपाई किसी वरदान से कम नहीं होती है। मोक्ष की कामना और मृत्यु के बाद नर्क की यातना से बचने के लिए इस चौपाई का विशेष रूप से पाठ करना चाहिए। जबकि पद प्रतिष्ठा की इच्छा रखने वालों को — तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा॥ चौपाई का पाठ करना चाहिए।
इस उपाय से प्राप्त होगी अष्टसिद्धि
यदि आपको धन-संपत्ति समेत तमाम तरह की सिद्धियां को प्राप्त करने की चाह है, तो आपके लिए हनुमान चालीसा की यह चौपाई अत्यंत शुभ साबित होगी। अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥ चौपाई का पाठ करने से धन्य-धान्य का भंडार बढ़ता है और हनुमान जी की कृपा से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं।