हर्षोल्लास एवं धूमधाम से मनाया गया बहाउल्लाह का 200वां जन्म दिवस समारोह
लखनऊ। बहाई धर्म के संस्थापक बहाउल्लाह की 200वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में आज एक भव्य समारोह का आयोजन सी.एम.एस. गोमती नगर (प्रथम कैम्पस) ऑडिटोरियम में बड़े ही उल्लासपूर्ण माहौल में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर भारी संख्या में एकत्रित बहाइयों ने बहाउल्लाह की स्तुति में प्रार्थना प्रस्तुत कर सारे वातावरण को आध्यात्मिकता के आलोक से परिपूर्ण कर दिया तथापि बहाई धार्मिक ग्रंथों का पठन-पाठन, भक्ति गीत, भजन एवं प्रार्थना नृत्य के कार्यक्रमों ने ईश्वरीय एकता का अनूठा अहसास कराया। समारोह में अनेक बहाई विद्वान, स्थानीय बहाई आध्यात्मिक सभा के सदस्य तथा गणमान्य नागरिक आदि उपस्थित थे, जिन्होंने प्रभु बहाउल्लाह के दिव्य जीवन एवं उनकी आध्यात्मिक शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। इसके अलावा, बहाउल्लाह के संघर्षपूर्ण जीवन पर लघु फिल्म भी दिखाई गई, साथ ही बहाई धर्म की शिक्षाओं से ओतप्रात बहाई साहित्य स्टाल तथा बहाउल्लाह की जीवन यात्रा के पोस्टर्स भी सभी के आकर्षण के केन्द्र रहे। विदित हो कि 12 नवम्बर को बहाई धर्म के संस्थापक भगवान बहाउल्लाह का 200वाँ जन्मदिवस है एवं इसी उपलक्ष्य में बहाई धर्म द्विशताब्दी वर्ष पूरे विश्व भर में मनाया जा रहा है।
बहाई धर्म की आधारशिला मानव मात्र की एकता है। बहाई धर्म पूरे विश्व से मतभेद समाप्त कर एक शान्तिमय एवं खुशहाल विश्व समाज की परिकल्पना पर अवलम्बित है। बहाई धर्म आज विश्व का ऐसा धर्म है जो कि सारी दुनिया को प्रेम, एकता एवं आध्यात्मिकता के पवित्र सूत्र में बांधने के लिए कार्य कर रहा हैं। बहाई जीवन दर्शन के कुछ प्रमुख सिद्धान्त है: ईश्वर एक है, सभी धर्म एक हैं तथा सम्पूर्ण मानवजाति एक है, सभी प्रकार के पूर्वाग्रह दूर हो, व्यक्ति स्वयं सत्य की खोज करे, एक सहायक विश्व भाषा हो, नारी तथा पुरूष समान हैं, शिक्षा सभी के लिए हो, विज्ञान तथा धर्म में सामंजस्य हो, अधिक धनाढ्ता तथा अधिक निर्धनता की समाप्ति हो, एक विश्व सरकार बने तथा संस्कृतियों की विविधता की रक्षा हो। बहाई धर्म का मुख्य विचार है कि निकट भविष्य में विश्व से घृणा समाप्त हो जाएगी। विश्व के सभी राष्ट्र राजनैतिक सन्धि के आधार पर एक हो जाएंगे और सम्पूर्ण विश्व की एक विश्व सरकार का गठन हो जायेगा।