नई दिल्ली : यह शायद न्यायिक जगत का पहला ऐसा फैसला है जिसमें निचली अदालत कोलकाता हाई कोर्ट के जज ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जज सहित अन्य 7 जजों को 5 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई.स्मरण रहे कि जस्टिस कर्णन और सुप्रीम कोर्ट के जजों के बीच पिछले कुछ वक्त से विवाद चल रहा है.
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बता दें कि फैसला सुनाते वक्त जस्टिस कर्णन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सभी आठ जजों ने मिलकर 1989 के एससी-एसटी एक्ट और 2015 में इसी एक्ट के संशोधित प्रावधानों का उल्लंघन किया है. जिन जजों को सजा सुनाई है उनमें चीफ जस्टिस जे एस खेहर के अलावा जिन जजों को सजा सुनाई गई है उनके नाम हैं जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष और जस्टिस कुरियन घोष. ये सभी जज उस पीठ के सदस्य थे जिसने जस्टिस कर्णन के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना की प्रक्रिया शुरू की थी. यही नहीं जस्टिस कर्णन ने अपने फैसले में जस्टिस भानुमति को भी सजा सुनाई है. जस्टिस कर्णन का मानना है कि जस्टिस भानुमति ने जस्टिस खेहर के साथ मिलकर उन्हें न्यायिक और प्रशासनिक जिम्मेदारियां पूरी करने से रोका.
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गौरतलब है कि जस्टिस कर्णन ने ये फैसला कोलकाता के रोजडेल टॉवर में अपने अस्थायी निवास पर सुनाया.अपने फैसले में जस्टिस कर्णन ने सभी जजों को जाति के आधार पर भेदभाव का दोषी पाया. उनके अनुसार सभी आठ न्यायाधीशों ने अपने न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारों का इस्तेमाल एक दलित जज के अपमान के लिए किया. जस्टिस कर्णन ने फैसले में माना कि इन जजों के आदेश इन आरोपों की पुष्टि करते हैं.