दिल्ली विश्वविद्यालय में अराजकता की स्थिति है और प्रोफेसरों को धमकी देने वाले छात्रों पर कार्रवाई के बजाय विश्वविद्यालय प्रशासन शुतुरमुर्ग की तरह व्यवहार कर रहा है। यह तल्ख टिप्पणी मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने की है।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल व दीपा शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि डीयू इन छात्रों पर कार्रवाई के बजाय शुतुरमुर्ग की तरह अपनी गर्दन रेत में घुसाए हुए है। अराजकता फैलाने वाले छात्रों को विश्वविद्यालय में खुला घूमने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी डीयू की लॉ फैकल्टी की डीन प्रोफेसर वेद कुमारी व अन्य प्रोफेसरों को छात्रों द्वारा पिछले साल धमकी दिए जाने के मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह कानून व्यवस्था का मामला है और कोर्ट से विश्वविद्यालय में पुलिसिंग करने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। पुलिस से पूछा गया कि क्या कोर्ट को डंडा चलाना चाहिए।
इससे पहले भी कानून का उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई करने के लिए कहा गया था। कोर्ट ने नाराजगी तब जाहिर की जब यह बताया गया कि पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सतेंद्र अवाना कई एफआईआर होने के बाद भी लॉ फैकल्टी के अध्यापकों को धमकियां दे रहा है।
दो मामलों में अवाना के खिलाफ 17 अक्तूबर को चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है। इन मामलों में नौ जनवरी 2018 को सुनवाई होनी है। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए 15 नवंबर की तारीख तय की है ताकि न्याय मित्र इन मामलों में दाखिल चार्जशीट का अध्ययन कर सके।