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हारमनी, ऑपटिमिज्म, पोटेंशियल और एनर्जी के बल पर आगे बढ़ रहा भारत

modi wellcome in saजोहानिसबर्ग: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को यहां कहा कि भारत आगामी वर्षों में 8 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करने के लिए काम कर रहा है । इसके साथ ही उन्होंने देश के उत्थान का श्रेय ‘एच-ओ-पी-ई’ यानी समरसता (हारमनी), आशावाद (ऑपटिमिज्म), क्षमता (पोटेंशियल) और उर्जा (एनर्जी) को दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था के कुछ सर्वाधिक सुनहरे बिंदुओं में से एक है’ और उन लोगों के लिए ‘संभावनाओं की धरती’ है जो निवेश और कारोबार करना चाहते हैं। मोदी ने कहा कि सरकार वर्ष 2022 तक 50 लाख रोजगार सृजित करने के लिए धुंधाधार तरीके से काम कर रही है। इसके अलावा वह ढांचागत विकास के जरिए गांवों और शहरी इलाकों का भी कायाकल्प कर रही है। उन्होंने कहा, ‘ऐसे में जब विश्व में मंदी है। भारत ने इस वर्ष 7.6 फीसदी की वृद्धि दर हासिल की है और हम आने वाले सालों में 8 फीसदी तक इसे ले जाने के लिए काम कर रहे हैं। ‘ उन्होंने यहां भारतीय समुदाय के करीब 11 हजार लोंगों को संबोधित करते हुए यह बात कही। रंगभेद विरोधी नेता नेल्सन मंडेला की खास पहचान मानी जाने वाली ‘मादिबा’ शर्ट पहने मोदी ने कहा कि भारत की गतिशीलता केवल शब्दों में नहीं है बल्कि यह ठोस कार्रवाई से संचालित है। उन्होंने कहा, ‘यह (गतिशीलता) भारतीय अर्थव्यवस्था का चेहरा बदलने की हमारी प्रतिबद्धता से परिभाषित होती है। न केवल सतत त्वरित आर्थिक वृद्धि के जरिए बल्कि बहुपक्षीय कायाकल्प के जरिए भी जिसका मकसद उत्थान है। ‘
अपने 40 मिनट के संबोधन में मोदी ने कहा, ‘भारत के उत्थान को एच-ओ-पी-ई यानी हारमनी (समरसता), ऑप्टिमिजम (आशावाद), पोटेंशियल (क्षमता) और एनर्जी (उर्जा) से परिभाषित किया जा सकता है। भारत का उत्थान अद्भुत लोच, नवीन पुनरोत्थान, अद्भुत गति और शानदार स्तर की कहानी है। ‘ उन्होंने कहा कि उनकी सरकार चाहती है कि उद्यम फले फूलें, कारोबार बढ़े और देश आगे बढ़े। उन्होंने कहा, ‘इसके लिए हम पहले ही एक नीतिगत ढांचे को आकार दे रहे हैं जो कारोबार, विनिर्माण, नवोन्मेष और विश्व के अन्य देशों के साथ निवेश साझेदारी में भारत की क्षमता को मजबूत करता है।’ मोदी ने कहा कि उनकी मंशा यह सुनिश्चित करना है कि भारत के 80 लाख युवाओं के सपने पूरे होने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘यह केवल अर्थव्यवस्था या समाज नहीं है जो आगे दौड़ रहा है बल्कि मानसिकता भी बदल रही है।’ उन्होंने उपस्थित समुदाय को भारत में विकास की कहानी को बयान करते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि आप लोग स्वयं इसे आकर देखें। दक्षिण अफ्रीका के साथ एक संबंध कायम करने का प्रयास करते हुए मोदी ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका अपनी आर्थिक समृद्धि, सुरक्षा और संरक्षा के लिए काम कर रहा है तो उसे भारत में एक भरोसेमंद साथी मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत और दक्षिण अफ्रीका की चुनौतियां समान हैं और भारत इस देश के प्रयासों में उसके साथ शामिल होने के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत और दक्षिण अफ्रीका रणनीतिक साझीदार हैं। हमें एक ऐसी साझेदारी कायम करनी चाहिए जिसमें संपूर्ण मानव प्रयास शामिल हो। ‘ उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक वैश्विक चुनौती है और एड्स तथा इबोला जैसी बीमारियों के खिलाफ संघर्ष भी कुछ अन्य प्राथमिकताएं हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि दक्षिण अफ्रीका वह जगह है जहां महात्मा गांधी ने अपनी राजनीतिक अवधारणा बनायी और यह सत्याग्रह की जन्मस्थली है। दक्षिण अफ्रीका को महात्मा गांधी की कर्मभूमि बताते हुए उन्होने कहा कि इस देश ने ‘मोहनदास को महात्मा बना दिया।’ उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका बहुत प्रिय था क्योंकि उनका मानना था कि इस भूमि पर उनका दूसरा जन्म हुआ है। भारतीय समुदाय के लोगों को भारतीय विरासत के गौरवशाली पुत्र और पुत्रियां बताते हुए उन्होंने कहा कि कई भारतीय मंडेला के साथ जेल गए और रंगभेद के खिलाफ संघर्ष में अपनी जान का बलिदान दिया।

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