हिन्दुओं में किसी व्यक्ति के मरते वक्त मुंह में तुलसी और गंगाजल क्यों रखा जाता हैं
हिंदू धर्म में मान्यताओं और परंपराओं के कारण इसका एक अलग ही महत्व है। हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृ्त्यु तक कई परंपराओं का पालन किया जाता है। इनमें सोलह संस्कार का वर्णन मिलता है। मृत्यु को अंतिम संस्कार माना गया है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। हिंदू धर्म में किसी की मृत्यु होने पर उस व्यक्ति के मुंह में तुलसी और गंगाजल डाला जाता है। कुछ स्थानों पर मुंह में सोना भी रखते हैं। आइये जानें कि इसके पीछे क्या कारण है।
गंगाजल
हिन्दू धर्म में गंगाजल को सबसे शुद्ध चीज माना गया है। इसलिए पूजा-पाठ हो या कोई भी अनुष्ठान सबसे पहले जल से पूजन सामग्री और पूजा करने वाले को शुद्ध किया जाता है। गंगा को स्वर्ग की नदी कहा गया है।
गंगा नदी के विषय में पुराणों में बताया गया है कि यह भगवान विष्णु के चरण से निकली है और शिव की जटाओं में इनका वास है। इसलिए मृत्यु के समय मुंह में गंगाजल रखने से शरीर से आत्मा निकलते समय अधिक कष्ट नहीं होता है। यह भी मान्यता है कि मुंह में गंगा जल होने से यमदूत नहीं सताते हैं और जीव के आगे का सफर आसान हो जाता है। व्यवहारिक तौर पर देखा जाए तो मृत्यु के समय मुंह में जल डालने का उद्देश्य यह भी है कि शरीर छोड़कर जा रहा व्यक्ति प्यासा न जाए।
तुलसी पत्ता
मृत्यु के समय गंगाजल के साथ एक और चीज मुह में रखी जाती है वह है तुलसी पत्ता। धार्मिक दृष्टि से तुलसी का बड़ा ही महत्व है। कहते हैं तुलसी हमेशा श्री विष्णु के सिर पर सजती है। तुलसी धारण करने वाले को यमराज कष्ट नहीं देते। मृत्यु के बाद परलोक में व्यक्ति को यमदंड का सामना नहीं करना पड़े इसलिए मरते समय मुंह में तुलसी का पत्ता रखा जाता है।
धार्मिक दृष्टि के अलावा इसका वैज्ञानिक और व्यवहारिक कारण भी है।दरअसल तुलसी एक औषधि है जो कई रोगों में कारगर होता है। मृत्यु के समय तुलसी पत्ता मुंह में होने से प्राण त्यागने के समय होने वाले कष्ट से राहत मिलती है क्योंकि यह सात्विक भाव जगाता है।