हॉकी खिलाड़ियों ने ट्रेन के फर्श पर बैठकर किया सफर
एक तरफ पूरे देश में रियो में पदक जीतने वाली पीवी सिंधू और साक्षी मलिक का सम्मान हो रहा है। हर कोई खुद को उनका और खेलों का हितैशी होने के दावे कर रहा है, लेकिन ओलंपिक के लिए 36 साल बाद क्वालीफाई करने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम के चार सदस्यों का रियो से वापस लौटने के बाद ऐसा अपमान हुआ जिसके कल्पना आप नहीं कर सकते। भारतीय रेलवे के अधिकारियों ने जैसा व्यवहार किया उससे आपको इस बात का अंदाजा हो जाएगा कि वास्तव में भारत में लोग खेलों और खिलाड़यों को कितनी अहमियत देते हैं।
हॉकी इंडिया और भारत सरकार खिलाड़ियों के रियो से घर वापसी की उचित व्यवस्था नहीं कर पाना बेहद अफसोस जनक है। इसी तरह की घटनाओं के कारण देश की युवा पीढ़ी खेलों को करियर के रूप में अपनाने से कतराती है और हम हर चार साल बाद ओलंपिक से खाली हाथ लौटने पर केवल अफसोस जताते रह जाते हैं। प्रधानमंत्री भले ही मन की बात में खेलों के विकास की योजना पर बात करें लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।