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हॉस्पिटल से एयरपोर्ट पहुंचाना था लिवर, एंबुलेंस ने 8 मिनट में तय किया 50 मिनट का सफर

1_1444205124इंदौर. मध्यप्रदेश के इंदौर में लिवर ट्रांसप्लांट के मकसद से बुधवार को शहर के बड़े हिस्से का ट्रैफिक रोक दिया गया। मध्य प्रदेश में इस तरह ग्रीन कॉरिडोर बनाने का यह पहला मामला है। एंंबुलेंस ने 10.5 किमी के लिए लगने वाले 50 मिनट के सफर को 8 मिनट में ही तय कर लिया। हॉस्पिटल से एयरपोर्ट तक लाए गए लिवर को बाद में प्लेन से दिल्ली भेज दिया गया। वहां गुड़गांव के मेदांता हाॅस्पिटल में यह लिवर दो लोगों की जिंदगी बचाएगा।
 
क्या है मामला?
खरगौन के 40 वर्षीय रामेश्वर खेड़े पिछले कुछ समय से बीमार थे और इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल में भर्ती थे। बुधवार को उनके निधन के बाद परिवार ने लिवर डोनेट करने का फैसला किया। इसके लिए दिल्ली के मेदांता हॉस्पिटल में दो रिसीवर मिल गए। बता दें कि लिवर के कुछ हिस्साें को अलग-अलग डोनेट किया जा सकता है।
 
कैसे बना ग्रीन कॉरिडोर?
 लिवर बॉडी से बाहर सिर्फ छह घंटे ही सेफ रखा जा सकता है। ऐसे में इसे जल्द से जल्द रिसीवर तक पहुंचाना जरूरी था।
मेदांता हॉस्पिटल से बातचीत के बाद डोनर के परिवार और हॉस्पिटल ने लोकल एडमिनिस्ट्रेशन से बात की।
 कमिश्नर संजय दुबे ने पुलिस और प्रशासन को ग्रीन कॉरिडोर बनाने को कहा।
 दोपहर 12.02 मिनट में एंबुलेंस चोइथराम हॉस्पिटल ने रवाना हुई।
 यह शहर के पश्चिमी इलाकों से गुजरी जहां ट्रैफिक की सबसे ज्यादा दबाव रहता है।
 एंबुलेंस 12.10 पर एयरपोर्ट पहुंची। यहां से 12.20 बजे दिल्ली के लिए रवाना हो गई। > ग्रीन कॉरिडोर के लिए पूरे रास्ते में 60 जवान तैनात किए गए थे।
 एबुलेंस के आगे एबुलेंस चल रही थी। पुलिस की दो गाड़ियां आगे-पीछे चल रही थीं।
 
लिवर को एयरपोर्ट तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस को चोइथराम हॉस्पिटल, माणिकबाग, पलसीकर चौराहा, हेमू कालानी चौराहा, महूनाका, गंगवाल बस स्टैंड और बड़ा गणपति से गुजरना था। हाॅस्पिटल से एयरपोर्ट तक का यह रास्ता शहर में ट्रैफिक के लिहाज से सबसे बिज़ी रूट माना जाता है।

 

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