हृदयनारायण दीक्षित
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संघर्ष और साधना की मिसाल है सप्रे जी का जीवन : हृदय नारायण दीक्षित
‘सप्रे प्रसंग’ में बोले उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष पं. माधवराव सप्रे की सार्द्ध शती के अवसर पर आईआईएमसी का…
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आस्था में हमारी अपनी कोई गणना नहीं है : हृदयनारायण दीक्षित
हृदयनारायण दीक्षित सभी सभ्यताओं में प्रार्थना है। मैं विज्ञान का विद्यार्थी रहा हूं। ईश्वर को जाना नहीं। लेकिन प्रार्थना करता…
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आनंद के प्यास से जन्म लेती है कला
हृदयनारायण दीक्षित विश्व मानवता का सतत् विकास हुआ है। मनुष्य ने सुख स्वस्ति और आनन्द के लिए लगातार प्रयत्न किये…
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वामपंथ सारी दुनिया में असफल सिद्ध हो गया है : हृदयनारायण दीक्षित
हृदयनारायण दीक्षित सभी मनुष्य जनहितकारी राजव्यवस्था और समाज व्यवस्था में रहना चाहते हैं। ऋग्वेद (9.111.10 व 11) में सोम देवता…
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सोम से ओम की यात्रा है ‘रूद्र शिव’ : हृदयनारायण दीक्षित
हृदयनारायण दीक्षित हम भारतवासी बहुदेव उपासक हैं। लेकिन बहुदेववादी नहीं। बहुदेव उपासना हमारा स्वभाव है। शिव एशिया के बड़े भाग…
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सभी कलाएं समाज में उदात्त भाव विकसित करने का संधान
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : कला अश्लील नहीं हो सकती। सभी कलाएँ समाज में उदात्त भाव विकसित करने का संधान हैं।…
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मतदाता के लिए सुविधाजनक होती है विचार आधारित राजनीति
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : भारतीय राजनीति लोकमंगल का उपकरण है। सभी दल अपनी विचारधारा को देशहित का साधन बताते हैं।…
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ईश्वर भी प्रकृति में अवतरित होने के लिए माता पर ही निर्भर
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : प्रकृति दिव्यता है, सदा से है। देवी है। मनुष्य की सारी क्षमताएँ प्रकृति प्रदत् है। जीवन…
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पृथ्वी में अन्न प्रतिष्ठित और अन्न में पृथ्वी, पूर्वजों ने की प्राण की तरह अन्न की प्रशंसा
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : प्राण से जीवन है। प्राण नहीं तो जीवन नहीं। शरीर में प्राण के संचरण से ही…
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प्रकाश का पर्याय, सहस्त्रों किरणों वाला सूर्य संसार का प्राण है
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : प्राण से जीवन है। प्राण से प्राणी है। प्राण दिखाई नहीं पड़ते। इसके बावजूद प्राण का…
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शब्द स्वयं में सार्वजनिक सम्पदा
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : विश्व की सभी सभ्यताओं में पुस्तकों का आदर किया जाता है। पुस्तकों में वर्णित जानकारियाॅं लेखक…
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ब्राह्मण होने के लिए आंतरिक ऊर्जा को बनाना होता है उर्ध्वगामी
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : क्या ब्राह्मण जाति हैं? पहले वे समूहवाची वर्ण-वर्ग थे। साहित्य में ज्यादा यथार्थ में नगण्य। फिर…
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पुनर्जन्म के विश्वासी भी करते हैं लोक परलोक की बातें
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : लोक की व्याप्ति बड़ी है। सामान्यतया प्रत्यक्ष विश्व को लोक कहते हैं। लेकिन भारतीय परंपरा में…
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कोरोना महामारी से मानवता व्यथित
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : विश्व अशांत है। कोरोना महामारी से विश्व मानवता पर व्यथित है। दुनिया भयग्रस्त है। मृत्यु सामने…
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कोरोना महामारी से दुनिया में विषाद-अवसाद का वातावरण
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : कोरोना महामारी ने दुनिया भर में विषाद अवसाद का वातावरण बनाया है। लोगों में हताशा है।…
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कोरोना वायरस : सतर्कता की बात ठीक, डराना सही नहीं
हृदयनारायण दीक्षित लखनऊ : कोरोना महामारी है। महमारी की इस अवधि में हजारों विद्वान व विशेषज्ञ प्रकट हो गए हैं।…
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