ज्ञान भंडार
अफसर बहाना नहीं कर सकेंगे, ई-मेल से जाएगा हाईकोर्ट का समंस
दस्तक टाइम्स/एजेंसी: छत्तीसगढ- रायपुर. अकसर हाईकोर्ट के समंस पर विभागों के अधिकारी तामीली पर आनाकानी कर जाते हैं। इसके कारण न्याय प्रक्रिया में विलंब होता है और कोर्ट का वक्त भी खराब होता है। इन्हीं सब विसंगतियों को देखते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नियमों में संशोधन का फैसला किया है। इसके तहत सरकार को पक्षकार बनाकर समंस की तामीली ई-मेल के जरिए कराने की तैयारी की जा रही है।
कोर्ट ने तय किया है कि सरकार के सभी विभागों और शासकीय संस्थाओं से वह भविष्य में ई-मेल के जरिए ही पत्राचार करेगी। इसके लिए कोर्ट ने विधि एवं विधायी कार्य विभाग से सरकार के सभी विभागों, विभागाध्यक्षों, आयोग, समिति और अधीनस्थ संस्थाओं के ई-मेल आईडी उपलब्ध कराने की मांग की है। इससे कोर्ट के समन्स की तामीली को लेकर अफसरों की बहानेबाजी पर भी रोक लगेगी।
विभाग अब तक नहीं हुए पेपर लेस
राज्य सरकार ने दो साल पहले सभी विभागों को पेपर लेस करने का निर्णय लिया था। सभी विभागों के आपस के पत्राचार के लिए ई-मेल के उपयोग को लेकर ई-मेल एवं इंटरनेट नीति भी बनाई गई थी। सूचना प्रौद्योगिकी और बायोटेक्नॉलॉजी विभाग द्वारा 2013 में इस संबंध में अधिसूचना भी जारी की गई थी, लेकिन दो साल बाद भी मंत्रालय से लेकर संचालनालय के अफसर व कर्मचारी शासकीय पत्राचार के लिए कागजों का ही उपयोग कर रहे हैं।
हरकत में आई सरकार
हाई कोर्ट द्वारा ई-मेल आईडी की मांग करने के बाद राज्य सरकार हरकत में आ गई है। मुख्य सचिव ने राज्य के सभी अधिकारियों को तत्काल अपना ई-मेल आईडी राज्य सूचना अधिकारी के पास भेजने के लिए कहा है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव से लेकर विभागाध्यक्षों, संभागायुक्तों, पुलिस महानिरीक्षक, मुख्य वन संरक्षक, जिलाध्यक्ष, पुलिस अधीक्षक और वन मंडलाधिकारियों को परिपत्र भेजा है।
अफसर तत्काल बनवाएं आईडी
जिन अफसरों ने अब तक अपना ई मेल आईडी नहीं बनवाया है, उनको जल्द से जल्द अपना ई-मेल आईडी बनवाने के लिए कहा गया है। सभी अफसरों को राज्य सूचना अधिकारी के पास तय फार्मेट में आवेदन करना होगा। सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी अफसरों को आवेदन का फार्मेट भी भेज दिया है। उल्लेखनीय है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने इससे पहले मई में भी अफसरों से ई-मेल उपलब्ध कराने के लिए निर्देश दिया था, लेकिन अफसरों द्वारा रूचि नहीं लेने के कारण फिर से आदेश जारी किया गया है।
प्रकरणों के निपटारे में आएगी तेजी
सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है कि सही पते पर भेजे गए समन्स को तामील माना जाए। ये भी उस दिशा मेें एक कदम हो सकता है। हाई कोर्ट द्वारा शासकीय पत्राचार ई-मेल के जरिए करने से समन्स की तामीली को लेकर अफसरों के टालमटोल पर अंकुश लगेगा और प्रकरणों के निपटारे में तेजी आएगी।” – प्रदीप राजगीर, उपाध्यक्ष, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन