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अब सोने के नाम पर चांदी के पदक पहनेंगे रियो के विजेता

रियो डि जेनेरियो। रियो ओलिंपिक खेलों में जिन पदकों के लिए दुनियाभर के खिलाड़ी जद्दोजहद करेंगे वे विज्ञान और कला का खूबसूरत मिश्रण हैं। करीब 100 लोगों की टीम जिसमें कलाकार और मशीन पर कार्य करने वाले कुशल कारीगर शामिल हैं, ब्राजील के बेहद गोपनीय स्थान पर पदकों को तराशने में जुटी है।rio_gold_madel_03_08_2016

रियो खेलों के लिए 5000 पदक तैयार किए जा रहे हैं। साथ ही 75 हजार प्रतिभागिता पदक भी तैयार किए गए हैं। इसमें इलेक्ट्रानिक उपकरणों की धातु का पुन: इस्तेमाल किया गया है।

नेल्सन नेटो कारनेरिओ ने ब्राजील की टकसाल में 41 साल के करियर में ढेरों सिक्के बनाए हैं, लेकिन वे ओलिंपिक पदक को सबसे खास बताते हैं।

रियो में स्वर्ण पदक जीतने वालों को भी चांदी ही मिलेगी। स्वर्ण पदक का वजन 500 ग्राम है। इसमें से 494 ग्राम चांदी जबकि 6 ग्राम सोना होगा।

स्वर्ण और रजत पदकों की वर्तमान कीमत 587 अमेरिकी डॉलर (39 हजार रु.) है। हालांकि ओलिंपिक खेलों में शुद्ध सोने के पदक नहीं दिए जाते।

आखिरी बार शुद्ध सोने के पदक 1912 स्टॉकहोम खेलों के दौरान दिए गए थे।

ऐसे बनते हैं पदक

मोल्ड कम्प्यूटर के जरिए भी बनाया जा सकता है, पर कारनेरियो ने इस पर दो सप्ताह तक अपने औजारों से हाथ से काम किया। हाथ से बने इस मोल्ड को कम्प्यूटर में सीएनसी रूटर या कम्प्यूटर द्वारा संचालित कटिंग मशीन से मेटेलिक मोल्ड बनाया जाता है।

इसके बाद मोल्ड को फैक्टरी में भेजे जाने से पहले माइक्रोस्कोप से बारिकी से काम किया जाता है। फैक्टरी में कर्मचारी इसके बाद प्रेस मशीन से मोल्ड पर 550 टन की ताकत से तीन बार मारते हैं। इसके बाद तैयार हो जाता है विजेताओं को दिया जाने वाला पदक।

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