आखिर सज्जन कुमार के भाषण से क्यों भड़क गई थी हिंसा
1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दंगा भड़काने और साजिश रचने के मामले में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. हालांकि, कोर्ट ने हत्या के मामले में उन्हें बरी कर दिया है. हाई कोर्ट ने सज्जन के अलावा बलवान खोखर, कैप्टन भागमल और गिरधारी लाल की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी है. जबकि पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर की सजा बढ़ाते हुए 10-10 साल की जेल की सजा सुना दी. इससे पहले निचली अदालत ने महेंद्र और किशन को तीन-तीन साल के कारावास की सजा सुनाई थी.
मालूम हो कि यह मामला इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के दंगों से जुड़ा है. उस वक्त सैकड़ों लोगों की हिंसक भीड़ ने एक सिख परिवार को निशाना बनाया था जो महिपालपुर में अपनी किराने की दुकान चलाते थे.
बताया जाता है कि एक नवंबर 1984 को हरदेव सिंह, कुलदीप सिंह और संगत सिंह महिपालपुर में अपनी किराने की दुकानों पर थे. उसी समय लोहे के सरिए, लाठियां, हॉकी स्टिक, पत्थर, केरोसीन तेल लेकर हिंसक भीड़ उनकी दुकानों की तरफ आई.
यह देख वह तीनों जान बचाने सुरजीत सिंह नाम के शख्स के किराए के मकान की तरफ भागे. कुछ समय बाद अवतार सिंह ने भी वहीं शरण ली. उन्होंने अंदर से कमरा बंद कर लिया. भीड़ ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया और चाकुओं से गोदकर उनकी हत्या कर दी. हत्या के बाद उन्हें छत से नीचे फेंका और केरोसिन छिड़ककर उन्हें आग लगा दी. घायलों को बाद में सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनकी मौत हो गई.
इस मामले की जांच में यह सामने आया कि दंगे सुनियोजित थे. जिसकी साजिश रचने में सज्जन कुमार भी शामिल थे. 2005 में नानावटी कमिशन की सिफारिश पर इस केस को दोबारा खोला गया और हत्याकांड की चश्मदीद चाम कौर ने पूरी घटना कोर्ट में बताई.
चाम कौर ने आरोप लगाया कि उन्होंने सज्जन कुमार को भीड़ को भड़काते देखा. उन्होंने सुल्तानपुरी में लोगों को यह कहते हुए सुना था कि सिखों ने उनकी मां (इंदिरा गांधी) को मार डाला है. इसलिए उनसे बदला लोग. चाम कौर के अलावा एक अन्य चश्मदीद शीला कौर ने भी सज्जन कुमार को भीड़ को भड़काते हुए देखा था. उनकी ही गवाही पर सज्जन कुमार को अब कोर्ट ने सजा सुनाई है.