नई दिल्ली: भविष्य में युद्ध का स्वरूप पूरी तरह बदलने वाला है। भारतीय सेना जल्द ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस होने जा रही है। सेना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल के लिए रक्षा मंत्रालय तेजी से काम कर रहा है। इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाते हुए रक्षा मंत्रालय ने नेशनल सिक्योरिटी और रक्षा क्षेत्र में एआई के इस्तेमाल को लेकर अध्ययन करने के लिए बीते वर्ष एक टास्क फोर्स का गठन किया है। इस टास्क फोर्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में रिसर्च और इनोवेशन पर अध्ययन का काम शुरु किया है। रक्षा मंत्रालय इसको रक्षा क्षेत्र में शामिल करने और कोर रक्षा रणनीतियों के साथ एआई को जोड़ने के लिए भविष्य का रोड मैप भी तैयार कर रहा है। सरकार द्वारा बनाई गयी टास्क फोर्स में सरकार के नेतृत्व के साथ रक्षा विभाग, अकादमिक, रक्षा उधोग, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स, नेशनल साइबर सिक्योरिटी कॉर्डिनेशन, इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और स्टार्ट-अप्स के सदस्य शामिल है।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए सरकार ने सलाना आधार पर विशेष फंड की व्यवस्था नहीं की है, बल्कि हर प्रोजेक्ट के हिसाब से अलग-अलग फंड दिए गए है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स के लिए सिंग्नल इंटेलीजेंस और एनालिसिस कैपेबिलिटी को बेहतर बनाने को एक प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है, जिसके तहत 73.3 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसी तरह एनर्जी हार्वेस्टिंग बेस्ड इंफ्रारेड सेंसर नेटवर्क फॉर ऑटोमेटेड ह्यूमन इंस्टुजन डिटेक्शन प्रोजेक्ट के लिए एक करोड़ 80 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं। एआई के लिए जरूरी सामान विकसित करने का काम डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स और ऑर्डिनेंस फैक्टरीज को सौंपा गया है।
जानकारों की मानें तो इससे भारतीय सेना की ताकत में कई गुना इजाफा होगा। मानव रहित टैंक, पोत, हवाई यान और रोबोटिक हथियारों के इस्तेमाल से सेना को ऑपरेशन को बेहतर तरीके से अंजाम देने में भी मदद मिलेगी। इससे सेंसर डेटा एनालिसिस, खतरे को पहले ही भांपने और परिस्थिति के मुताबिक खुद को तैयार करने समेत अन्य में मदद मिलेगी।आपको बता दें कि दुनिया के अधिकांश ताकतवर देश जैसे चीन, रूस, अमेरिका और जापान समेत अन्य देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर पहले से ही जमकर निवेश कर रहे हैं।
अपनी सेना में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के व्यापक इस्तेमाल की खातिर चीन तेजी से निवेश बढ़ा रहा है, वहीं अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और यूरोपीय संघ भी आर्टिफिशल इंटेलिजेंस में काफी निवेश कर रहे हैं। आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस कुशल मशीनों के निर्माण से जुड़े कंप्यूटर विज्ञान का क्षेत्र है। अमेरिका मानव रहित ड्रोन के सहारे अफगानिस्तान और उत्तरपश्चिमी पाकिस्तान में आतंकियों के गुप्त ठिकानों को निशाना बनाता रहा है। मानवरहित ड्रोन आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से काम करते हैं। ऐसे में यह परियोजना भारत की थल सेना, वायु सेना और नौसेना को भविष्य की जंग के लिहाज से तैयार करने की व्यापक नीतिगत पहल का हिस्सा है।
बता दें कि दुनिया की किसी भी सेना में एआई का प्रयोग मुख्यत: पांच कामों में किया जा सकता है। रसद और आपूर्ति प्रबंधन, डाटा विश्लेषण, खुफिया जानकारी जुटाना, साइबर ऑपरेशन और हथियारों का स्वायत्त सिस्टम। रसद आपूर्ति और डाटा एनालिसिस में एआई का प्रयोग ज्यादा नुकसानदायक नहीं होगा क्योंकि असैन्य क्षेत्रों में पहले ही इन पर काफी काम हो चुका है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर हमलों को रोकने या फिर उन्हें शुरू करने के लिए भी एआई का प्रयोग तेजी से आवश्यक होता जा रहा है क्योंकि एआई के जरिए साइबर हमलों को आसानी से पकड़ा जा सकता है।वहीं, कई देश रक्षा क्षेत्र में एआई का प्रयोग कर उनके सैन्य कौशल में सुधार की गुंजाइशें भी तलाश रहे हैं।