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इस गाँव में पत्नियाँ सोती हैं देवरों के साथ, वजह जानकर आपके पांव तले से ज़मीन खिसक जाएगी!

हमारे भारत देश दिनों दिन उच्चाईयों को छूता नजर आ रहा है. जहाँ, आज के समय में औरतें मर्दों के कंधे से कंधा मिला कर चल रही हैं, वहीँ आज भी कुछ जगहें ऐसी हैं जहाँ औरतों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है. जिस देश में औरतों को देवी का दूसरा रूप मान कर पूजा की जाती है, उसी देश में जब किसी औरत के साथ बुरा बर्ताव किया जाता है तो ये सच में हमारे लिए शर्म की बात है. दुनिया में हर जगह की अपनी कुछ रीतियाँ और रस्में हैं, जिन्हें ना चाहते हुए भी लोगों को निभाना ही पड़ता है. आज के इस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसी अजीबो गरीब रीति से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जिसे आप और हम सपने में भी नहीं सोच सकते.

दरअसल, आज हम आपको एक गाँव की अजीबो गरीब परंपरा बताने जा रहे हैं. जहाँ, केवल दो गज ज़मीन की रक्षा के लिए पति को अपनी बीवी अपने भाईयों के साथ बांटनी पडती है. आपको ये पढ़ कर थोडा अजीब लग रहा होगा. लेकिन, ये बिलकुल सच है. यहाँ, परिवार की मर्जी से ही हर औरत को अपने सभी देवरों के साथ जबरन शारीरक शोषण सहना पड़ता है. इस रीति में गाँव की किसी भी महिला का कोई जोर नहीं चलता और उन्हें दिल पर पत्थर रख कर इस परंपरा को निभाना ही पड़ता है.

दरअसल, यह पूरा मामला राजस्थान के अलवर जिले के छोटे से गांव मनखेरा का है.  यहां बहुत सालों से ही यह गैरकानूनी और अमानवीय नीति चलती आ रही है.  दरअसल, यहां इस अनोखी परंपरा को इसलिए बनाया जाता है ताकि स्त्री और पुरुष लिंग अनुपात में अंतर कम हो पाए.  इसके इलावा गांव के हर घर के पास थोड़ी बहुत  जमीन है.  इसलिए गांव में जिस परिवार के दो लड़के हैं उनमें से एक भाई की शादी नहीं की जाती और वह अपने जीवन का बलिदान दे देता है.  परिवार में जमीन ना बंटे इसलिए  परिवार के बड़े बुजुर्ग एक ही पत्नी को दोनों भाइयों में बांट देते हैं.  सरल शब्दों में कहा जाए तो केवल जमीन के बंटवारे को रोकने के लिए यहां औरतों की कुर्बानी दे दी जाती है.

एक रिपोर्ट के अनुसार इस पूरी कुरीति के पीछे दो प्रमुख कारण माने जाते हैं.  जिनमें से एक तो महिला और पुरुष के बीच में बढ़ रहा लिंगानुपात,  और दूसरा लोगों के पास पैसों और जमीन की कमी.

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अलवर के इस मनखेरा गांव में  कुरीति को सभी निभाते चले आ रही है लेकिन कोई भी इस बारे में खुलकर बात नहीं करना चाहता.  केवल इतना ही नहीं इस गांव की महिलाओं को इतना मजबूर कर दिया जाता है कि वह भी इस बात का खुलकर विरोध नहीं कर पाती.  एक रिपोर्ट के अनुसार अगर कोई महिला भूल से भी गैर मर्द के साथ संबंध बनाने से इंकार कर देती है तो उनका हश्र काफी बुरा होता है.  इसलिए ना चाहते हुए भी यहां की महिलाओं को अपने पति के अलावा अन्य पुरुषों को भी अपना पति मानना पड़ता है.

सरकार द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला कि कम जमीन होने के कारण यहां के अधिकतर पुरुष अविवाहित है.  साल 2013 की बात करें तो यहां हर परिवार  एक पुरुष कुंवारा पाया गया था.  जबकि यह अनुपात घटकर 2007 में 5.7 गया.  आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में हर परिवार का मूल स्रोत खेती ही है.  इसलिए अपनी जायदाद के बंटवारे को बचाने के लिए यहां परिवार मे लड़की को बांटने का अनौपचारिक अनुबंध होता है.  देश के कानून की बात करें तो यह धारणा मान्य नहीं है लेकिन फिर भी सदियों से यह कुरीति इस गांव में चलती आ रही है.

एक रिसर्च के अनुसार पता चला कि इस गांव में 19 वर्ष से अधिक कोई भी उम्र की ऐसी महिला नहीं थी जिसकी शादी ना हुई हो.  आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मनखेरा जैसे ही कई ऐसे गांव हैं जहां इन कुरीतियों को परंपराओं का नाम दिया जाता है.  अगर भविष्य में कन्या भ्रूण हत्या को नहीं रोका गया तो इससे भी भयानक कुरीतियां हमारे समाज में शामिल हो जाएंगी.

 

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