हिंदू धर्म में इंसानों के जन्म से लेकर उनकी मौत तक कई तरह के संस्कार निभाए जाते हैं. हिंदू धर्म के इन्हीं संस्कारों में से एक है मुंडन संस्कार जिसे काफी महत्व दिया जाता है. भारतीय परंपरा के अनुसार छोटे बच्चों का हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार किया जाता है इसके अलावा जब किसी की मौत हो जाती है तो भी लोग मुंडन कराते हैं. आखिर हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार को इतना ज्यादा महत्व क्यों दिया जाता है. चलिए हम आपको बताते हैं.
हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार से जुड़ी है ये खास मान्यताएं
हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार की एक खास पद्धति है. जिसमें मुंडन के बाद चोटी रखना अनिवार्य है. लेकिन हिंदू धर्म में बच्चों का मुंडन जितना जरूरी होता है उतना ही जरूरी है किसी नजदीकी रिश्तेदार की मौत के वक्त मुंडन करवाना. हालांकि बहुत से लोग सिर्फ इसलिए मुंडन करवाते हैं क्योंकि वो बचपन से अपने घरों में ऐसा देखते आए हैं. इसलिए लोग महज इसे एक आध्यात्मिक परंपरा समझकर मुंडन संस्कार कराते हैं.
दरअसल जन्म के बाद बच्चों का मुंडन कराने की परंपरा है लेकिन इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि जब बच्चा मां के पेट में होता तो सिर के बालों में बहुत से हानिकारक बैक्टीरिया लगे होते हैं जो धोने से भी नहीं निकल पाते हैं इसलिए बच्चे के जन्म के 1 साल के भीतर एक बार मुंडन जरूर कराना चाहिए. हालांकि बच्चे की उम्र पांच साल होने पर भी उसके बाल उतारे जाते हैं और यज्ञ किया जाता है. जिसे मुंडन संस्कार कहते हैं. कहा जाता है कि इससे बच्चों का सिर मजबूत होता है और दिमाग भी तेज होता है.
किसी करीबी की मौत हो जाने के बाद उसके पार्थिव शरीर के दाह संस्कार के बाद मुंडन कराने का विधान है. इसके पीछे वजह बताई जाती है कि जब पार्थिव शरीर को जलाया जाता है तो उसमें से कुछ हानिकारक बैक्टीरिया हमारे शरीर से चिपक जाते हैं. इसलिए नदी में स्नान और धूप में बैठने की परंपरा है इसके अलावा सिर में चिपके जीवाणुओं को निकालने के लिए दाह संस्कार के बाद मुंडन कराया जाता है.
आपको बता दें कि हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार के बाद सिर पर चोटी छोड़ने का अपना एक वैज्ञानिक महत्व बताया जाता है. सिर में सहस्रार के स्थान यानी सिर के सभी बालों को काटकर सिर के बीचों-बीच छोटी सी चोटी रखी जाती है. कहा जाता है कि यह मस्तिष्क का केंद्र है और विज्ञान के अनुसार यह शरीर के अंगो, बुद्धि और मन को नियंत्रित करने का स्थान भी है.
सिर पर जिस स्थान पर चोटी रखा जाता है वहां से मस्तिष्क का संतुलन ठीक तरह से बना रहता है. गौरतलब है कि हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार से जुड़ी इन मान्यताओं के चलते ही मुंडन को इतना ज्यादा महत्व दिया जाता है. तभी तो छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बुजर्ग भी खास मौकों पर अपना मुंडन कराते हैं.