उत्तर प्रदेश में गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई ने 20 ठिकानों पर मारा छापा
लखनऊ : अखिलेश यादव की सरकार के कार्यकाल के दौरान लखनऊ में बड़े घोटाले में सीबीआई ने अपनी जांच की गति तेज कर दी है। लखनऊ में करीब 1800 करोड़ रुपए के गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई की एंटी करप्शन टीम ने उत्तर प्रदेश के साथ ही पश्चिम बंगाल तथा राजस्थान के कई जिलों में छापा मारा है। सीबीआई की एंटी करप्शन की टीमों ने एक साथ उत्तर प्रदेश में राजधानी लखनऊ के साथ गाजियाबाद, बरेली, गौतमबुद्धनगर, सीतापुर, बुलंदशहर, आगरा, रायबरेली, इटावा तथा पश्चिम बंगाल और राजस्थान के कई जिलों में छापा मारा है। लखनऊ में करीब 1800 करोड़ के घोटाले में 190 से अधिक लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इनमें नेता, व्यापारी तथा आईएएस अधिकारी व इंजीनियर भी हैं। टीमें कागजों की पड़ताल में लगी हैं। यह मामला बेहद गंभीर होने के कारण कोई भी कसर नहीं छोड़ी जा रही है। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में लखनऊ में गोमती नदी के सौंदर्यीकरण का काम किया गया। इसको गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर सजाने की योजना थी। समाजवादी पार्टी की सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट के लिए 1513 करोड़ मंजूर किए थे। इसमें 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ। इस दौरान रिवर फ्रंट का काम करने वाली संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्च करके भी पूरा काम नहीं किया था। गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़े इंजीनियरों पर कई गंभीर आरोप हैं।
इंजीनियरों पर दागी कंपनियों को काम देने, विदेशों से महंगा सामान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और अधिकारियों के विदेश दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेन-देन में घोटाला करने और नक्शे के अनुसार कार्य नहीं कराने का आरोप है। इस मामले में आठ इंजीनियर्स के खिलाफ पुलिस के साथ सीबीआई व ईडी केस दर्ज कर जांच कर रही हैं। इसमें तत्कालीन चीफ इंजीनियर गोलेश चन्द्र गर्ग, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिवमंगल सिंह, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव, सुरेन्द्र यादव शामिल हैं। यह सभी सिंचाई विभाग के इंजीनियर हैं, जिनके खिलाफ जांच चल रही है। इस घोटाले में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के कई करीबी नेता भी आरोपित हैं।
आरोप है कि डिफाल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया था। इस बड़े प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया था। मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में इसकी न्यायिक जांच में कई खामियां उजागर हुईं। इसके बाद रिपोर्ट के आधार पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। घोटाले के मामले में 19 जून 2017 को गौतमपल्ली थाने में आठ लोगों के खिलाफ अपराधिक केस दर्ज किया गया था। इसके बाद नवंबर 2017 में ईओडब्ल्यू उत्तर प्रदेश ने भी जांच शुरू कर दी थी। दिसंबर 2017 में मामले की जांच सीबीआई के पास चली गई और जांच एजेंसी ने केस दर्ज कर जांच शुरू की। दिसंबर 2017 में ही आईआईटी की टेक्निकल टीम ने भी जांच की। इसके बाद सीबीआई की जांच को आधार बनाते हुए मामले में ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया। सीबीआई की टीमों ने उत्तर प्रदेश में तड़के ही छापा मारा।
गाजियाबाद के शिवालिक अपार्टमेंट में सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधिशासी अभियंता रूप सिंह यादव के घर पर कई गाडिय़ों में टीम पहुंची है। यहां पर छापेमारी चल रही है। बुलंदशहर में रिवर फ्रंट घोटाले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य राकेश भाटी के आवास प्रीत विहार के घर पर छापा मारा गया। आगरा में भाजपा नेता नितिन गुप्ता के घर विजय नगर कालोनी में सीबीआई की टीम पहुंची। नितिन गुप्ता पहले समाजवादी पार्टी में बड़े पद पर था। उसकी अनुपमा ट्रेडिंग कंपनी के नाम से फर्म है। इसने रिवर फ्रंट में पत्थर लगवाने का काम किया था। इटावा में रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई का शहर के चोगुर्जी मैं ठेकेदार पुनीत अग्रवाल के घर पर छापा मारा गया। पुनीत अग्रवाल को पूर्व मंत्री शिवपाल यादव का बेहद करीबी बताया जाता है। सीबीआई की छह सदस्य की टीम सुबह पुनीत अग्रवाल के घर पर पहुंची थी। इस टीम ने पुनीत अग्रवाल के ठेके के कागजों की जांच की गई है। पुनीत ने 2012-13 में रिवर फ्रंट पर नहर में बंधा बनाने का कार्य किया था।