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किसान नजरअंदाज करने वालों को सबक सिखाना जानते हैं: राकेश टिकैत

किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने शनिवार को एक बार फिर केंद्र को उन तीन कानूनों को लेकर चेतावनी दी, जिनके खिलाफ किसान लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. टिकैत ने कहा कि किसान उन लोगों को सबक सिखाना जानते हैं जो उनको नजरअंदाज करते हैं. भारतीय किसान यूनियन (Bharatiya Kisan Union) के प्रवक्ता टिकैत ने कहा, ‘किसान संसद से किसानों ने गूंगी-बहरी सरकार को जगाने का काम किया है. किसान संसद चलाना भी जानता है और अनदेखी करने वालों को गांव में सबक सिखाना भी जानता है. ये किसी को नहीं भूलना चाहिए.’

राकेश टिकैत ने किसानों से ‘भारत की आत्मा और स्वतंत्रता को बचाने’ के लिए एकजुट होने का भी आह्वान किया. टिकैत की यह टिप्पणी संसद के नजदीक जंतर-मंतर पर ‘किसान संसद’ के तीसरे दिन आई, जहां मानसून सत्र चल रहा है. धरना, जिसे ‘किसान संसद’ का नाम दिया गया हैं, गुरुवार को जंतर-मंतर पर भारी सुरक्षा के बीच शुरू हुआ. संसद में जारी मॉनसून सत्र के साथ केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शित करने के लिए 200 किसानों का एक समूह गुरुवार को मध्य दिल्ली के जंतर-मंतर पहुंचा था.

दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने जंतर मंतर पर अधिकतम 200 किसानों को 9 अगस्त तक प्रदर्शन की अनुमति दी है. जंतर-मंतर संसद परिसर से महज कुछ मीटर की दूरी पर है. किसान नेताओं ने कहा कि ‘किसान संसद’ के आयोजन के पीछे का मकसद सरकार को यह दिखाना था कि आंदोलन अभी भी जारी है. पिछले साल सितंबर में संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसान लगभग आठ महीने से दिल्ली की सीमाओं- सिघू, टिकरी और अन्य जगहों पर विरोध कर रहे हैं.

टिकैत ने पहले कहा था कि किसान संसद में अपने मुद्दों को उठाने में विफल रहने पर अपने निर्वाचन क्षेत्र में संसद सदस्यों के खिलाफ विरोध करेंगे, चाहे वह सत्ताधारी दल का हो या विपक्ष का. उन्होंने यह भी कहा कि किसान तीन विवादित कृषि कानूनों को रद्द करने पर ‘किसान संसद’ में एक प्रस्ताव भी पारित करेंगे.

पिछले साल सितंबर में लाए गए तीन कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में एक बड़ा सुधार बताया गया है और दावा है कि इससे बिचौलिए खत्म होंगे और किसान देश में कहीं भी अपनी फसल बेच पाएंगे. इन तीन कृषि कानूनों में- (1) कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, (2) कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक 2020 और (3) आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 शामिल हैं.

26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) पर एक ट्रैक्टर रैली के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के बाद यह पहली बार है जब अधिकारियों ने विरोध कर रहे किसान संघों को शहर में प्रदर्शन करने की अनुमति दी है. हालांकि दिल्ली में इस समय आपदा प्रबंधन कानून लागू है, जिसके कारण DDMA के दिशानिर्देश के तहत कोई जमावड़ा नहीं हो सकता. लेकिन किसानों के आंदोलन के लिए दिल्ली सरकार ने दिशा-निर्देशों में संशोधन किया और प्रदर्शन की इजाजत दी. किसानों को कोविड नियमों के साथ प्रदर्शन करने की अनुमति मिली है.

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