नई दिल्ली : राम मंदिर के लिए 60 फीसदी निर्माण सामग्री और नक्शा तैयार है। विवादित जमीन रामलला को सौंप दी गई है और दूसरी बुनयादी चीजों का हम ख्याल रख रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता मिलिंद परांडे ने रविवार को कहा कि केंद्र अगर व्यवस्था बनाए तो हिंदू समाज तुरंत राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर सकता है। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण 2020 में शुरू हो सकता है। निर्माण शुरू होने के दो साल के भीतर यानी 2022 तक यह पूरा हो जाएगा। राम मंदिर के लिए केंद्र सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर ट्रस्ट के निर्माण पर विचार कर रहा है, जो निर्माण कार्य की देखरेख करेगा। सोमनाथ ट्रस्ट में 6 सदस्य हैं, जबकि राम मंदिर ट्रस्ट में सदस्यों की संख्या 14 से 17 के बीच हो सकती है। 9 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित 2.77 एकड़ जमीन रामलला विराजमान को सौंपे जाने और मंदिर निर्माण के लिए केंद्र को ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया था। सूत्र ने यह भी बताया कि केंद्र इस बात पर भी विचार कर रहा है कि नया ट्रस्ट बनाने की जगह राम जन्मभूमि न्यास में ही बदलाव करके और नए सदस्यों को शामिल किया जाए और उसे राम मंदिर निर्माण का जिम्मा सौंप दिया जाए।
ट्रस्ट के सदस्यों में विहिप और बजरंग दल के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जा सकता है। सदस्य कौन होंगे, इसका फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। नया ट्रस्ट संस्कृति मंत्रालय के तहत रजिस्टर्ड होगा। मंत्रालय ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के कामकाज की देखरेख करेगा। इस बीच विहिप ने कहा कि सरकार मंदिर निर्माण के लिए रकम न दे, इसकी व्यवस्था जनता के दान द्वारा की जाए। कहा जा रहा है कि मंदिर निर्माण के लिए 100 एकड़ जमीन की आवश्यकता है और अभी इसके लिए 67 एकड़ जमीन है। ऐसे में 33 एकड़ अतिरिक्त जमीन की आवश्यकता जाहिर की जा रही है। मस्जिद के लिए परिसर में ही 5 एकड़ जमीन देना सम्भव नहीं है, क्योंकि मंदिर के लिए ही अतिरिक्त जमीन की आवश्यकता है। राज्य सरकार किसी और इलाके में मस्जिद के लिए जमीन दे। केंद्र सरकार मस्जिद के लिए जमीन के अलॉटमेंट में हस्तक्षेप नहीं करेगा। यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन आवंटित करने की व्यवस्था करे। इसके साथ ही सरकार इस बात पर भी विचार कर रही है कि अयोध्या का पुनर्निर्माण किया जाए और हनुमानगढ़ी को केंद्र में रखा जाए।