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कैंसर रोगियों का जीवन, अवसाद के कारण घट रहा है

अवसाद सामान्य स्वस्थ्य शरीर को भी रोगी बना सकता है। वहीं, अगर कोई सिर व गर्दन के कैंसर से पीड़ित हो और साथ में उसे अवसाद भी हो जाए तो इससे उस रोगी के अधिक समय तक जीने की संभावनाएं घट जाती हैं। हाल ही में हुए एक अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि कैंसर के इलाज के समय रोगियों में अवसाद की जांच और उससे संबंधित लक्षणों का इलाज भी किया जाना चाहिए।अवसाद के कारण घट रहा है कैंसर रोगियों का जीवन

यूनिवर्सिटी ऑफ लुइसविले स्कूल ऑफ मेडिसिन की ओर से करवाए गए इस अध्ययन की सह-लेखक एलिजाबेथ कैश ने कहा, ‘शोध के दौरान हमने पाया है कि अगर कोई कैंसर रोगी 4 साल तक जीवन जीने वाला है तो अवसाद के कारण वह केवल 2 साल ही जाता है और यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए कड़वी सच्चाई है जो उपचार के दौरान अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देते हैं।’ 

शोधकर्ताओं के अनुसार, ‘सिर व गर्दन के कैंसर पीड़ितों में अवसाद के लक्षण भी मिलते हैं, जिससे उनके सामने चिकित्सीय दुष्प्रभाव का सामना करने, धूम्रपान छोड़ने, पर्याप्त पोषण या नींद की आदतों को सही रखने की चुनौती खड़ी हो जाती है।’ क्या अवसाद के लक्षण रोगियों के स्वास्थ्य परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं? यह जानने के लिए शोधकर्ताओं ने सिर और गर्दन के कैंसर से पीड़ित 134 मरीजों का आकलन किया, जिन्होंने अपने इलाज के दौरान अवसाद के लक्षणों की जानकारी दी थी। 

शोधकर्ताओं द्वारा दो साल तक मरीजों के चिकित्सीय आंकड़ों के आकलन से पता चला कि अधिक अवसाद पीड़ित रोगियों के जीवन जीने की संभावना भी बहुत कम होती है और उनके कीमोरेडिएशन और बाकी इलाज में भी बाधाएं उत्पन्न होती हैं। यह शोध ‘कैंसर’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। 

 

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