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कोल ब्लॉक स्कैमः JIPL के दो निदेशकों की अंतरिम जमानत फिर बढ़ी

court_1473948711हाईकोर्ट ने कोल ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में दोषी ठहराए गए झारखंड इस्पात कंपनी के दो निदेशकों की अंतरिम जमानत फिर बढ़ा दी है। दोनों ने विशेष सीबीआई अदालत द्वारा उन्हें प्रदान चार-चार साल कैद व पांच-पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी के समक्ष पेश सीबीआई के अधिवक्ता आरसी चीमा ने अंतरिम जमानत अवधि बढ़ाने पर आपत्ति नहीं जताई।
 
उन्होंने अदालत को बताया कि सीबीआई ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मामले की सुनवाई दिन प्रति दिन करवाने के लिए आवेदन दायर कर दिया है लेकिन वह अभी तक लिस्ट नहीं हुआ है। अदालत ने उनके तर्क के ध्यानार्थ दोनों की अंतरिम जमानत अवधि 23 जनवरी 2017 तक के लिए बढ़ा दी। 

अदालत ने 13 मई को याची आरसी रुंगटा व आरएस रुंगटा को 10 लाख रुपये के व्यक्तिगत मुचलके व इतनी ही राशि की दो अन्य जमानती पेश करने की शर्त पर अंतरिम जमानत प्रदान की थी। अदालत ने सीबीआई के जल्द सुनवाई के आग्रह को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि बिना बारी के वे सुनवाई करने में असमर्थ हैं, यदि सर्वोच्च न्यायालय आदेश दे तभी वे ऐसा कर सकते हैं।

इससे पूर्व याची आरसी रुंगटा व आरएस रुंगटा की और से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क रखा था कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं है कि उन्होंने धोखाधड़ी के जरिये कोल ब्लॉक हासिल किया था।

पटियाला हाउस अदालत के विशेष सीबीआई जज भरत पाराशर ने 4 अप्रैल को दिए फैसले में झारखंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड (जेआईपीएल) के निदेशक आरसी रुंगटा व आरएस रुंगटा को धोखाधड़ी के लिए चार-चार साल कैद व ढाई-ढाई लाख रुपये जुर्माना व आपराधिक साजिश के लिए चार-चार साल कैद व ढाई-ढाई लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। अदालत ने कंपनी पर भी 25 लाख रुपये जुर्माना भी किया था।

 
 

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