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जांच एजेंसी का शक, बीजेपी नेता अनिल परिहार की हत्या के पीछे हिज्बुल मुजाहिदीन

किश्तवार को जम्मू-कश्मीर के शांतिपूर्ण जिलों में माना जाता था, लेकिन वहां बीजेपी नेता अनिल परिहार और उनके भाई की हत्या ने सुरक्षा बलों को भी टेंशन में डाल दिया। इंटेलिजेंस एजेंसी मान रही हैं कि पंचायत चुनाव को बाधित करने की कोशिश में नाकाम होने के बाद हिज्बुल के आतंकियों ने यह हिंसक खेल खेला।

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के राज्य सचिव अनिल परिहार की किश्तवार में हत्या कश्मीरी आतंकी संगठनों की क्रोधित प्रतिक्रिया हो सकती है। आम तौर पर शांतिपूर्ण माहौल वाले किश्तवार में इस खूनी घटना को हिज्बुल मुजाहिदीन ने अंजाम दिया है, इसकी आशंका से सुरक्षा एजेंसियां इनकार नहीं कर रही हैं। पंचायत चुनाव में बंद की कोशिशें सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम की वजह से सफल नहीं हो सकी। हिज्बुल जैसे संगठन किसी भी सूरत में पंचायत चुनाव नहीं होने देना चाहते थे और अपने मंसूबों में नाकाम होने के बाद बीजेपी नेता को निशाना बनाया गया।

इंटेलिजेंस अधिकारियों ने बताया कि परिहार और उनके भाई के हत्यारों को पकड़ने के लिए अभी जांच चल रही है। शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि इस घटना को अंजाम देने के लिए जिन हथियारों और तरीके का इस्तेमाल किया गया है, वह किसी स्थानीय आतंकी संगठन की भागीदारी का इशारा करते हैं। इस घटना को अंजाम देने में आतंकी संगठनों के छुपे हुए स्थानीय मददगारों की भी भूमिका है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘अब तक की जांच में यह सामने आया है कि 6-7 हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी किश्तवार में पिछले कुछ वक्त से कैंपेन कर रहे थे। हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि ये आतंकी किश्तवार में सुरक्षा बलों की मुस्तैदी देखकर छुपने के लिए आए थे, या फिर परिहार भाइयों को मारने के मिशन के साथ ही इन्होंने यहां डेरा डाला था।’

जांच अधिकारी ने यह भी कहा कि इस हत्याकांड के पीछे क्या मंशा थी, हम वहां पहुंचने की भी कोशिश कर रहे हैं। जांच अधिकारी के अनुसार, ‘अभी तक की जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि परिहार भाइयों पर हुआ हमला किसी निजी रंजिश की वजह से नहीं हुआ है। अब हम इसकी जांच कर रहे हैं कि क्या आतंकी संगठन बीजेपी के सीनियर नेताओं को निशाना बनाने के लिए काम कर रहे हैं या फिर राज्य में चुनावों को लेकर भय का माहौल बनाना उनका उद्देश्य है।’

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