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जानिए कितनी सफल हुई मोदी सरकार की जनधन योजना?

लोकसभा चुनाव से पहले 1 फरवरी को मोदी सरकार अंतरिम बजट पेश करने जा रही है. इस बजट के जरिए सरकार अपनी 5 सालों की उपलब्‍धियों का जिक्र कर वोटर्स को लुभाने की कोशिश करेगी. बीते 5 सालों के कार्यकाल में जिन प्रमुख योजनाओं पर सरकार का फोकस रहा है उनमें प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) शामिल है. 28 अगस्त 2014 को शुरू हुई इस योजना के जरिए सरकार की कोशिश नए बैंक खाते खोलने के साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में पहुंचाने की रही है.

जानिए कितनी सफल हुई मोदी सरकार की जनधन योजना?क्‍या खास है योजना में

प्रधानमंत्री जनधन योजना की सबसे खास बात ये है कि यह जीरो बैलेंस अकाउंट के साथ कई सुविधाएं प्रदान करती है. इस अकाउंट में जमा राशि पर ब्याज मिलता है. इसके साथ ही 1 लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा कवर दिया जाता है. मोदी सरकार की इस योजना की वर्ल्‍ड बैंक ने भी तारीफ की है. हालांकि वर्ल्‍ड बैंक ने 2017 में एक रिपोर्ट में बताया था कि 40% अकाउंट ही एक्टिव बैंक खाते के रूप में काम कर रहे हैं. यानी इन खातों में ही ट्रांजेक्‍शन हुआ है. कहने का मतलब ये है कि 60 फीसदी अकाउंट निष्‍क्रिय है. वहीं वर्ल्‍ड बैंक की 2018 में जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि सरकार के तमाम प्रयास के बावजूद देश के 19 करोड़ युवाओं के पास बैंक खाता नहीं है. पाकिस्तान भी इस मामले में हमसे आगे है. यहां बैंक खाता न रखने वालों की संख्या 10 करोड़ है.

नोटबंदी के दौरान चर्चा में रहे अकाउंट

नवंबर 2016 में नोटबंदी के ऐलान के बाद कालेधन को खपाने के लिए जनधन खातों का खूब इस्‍तेमाल किया गया. उस समय इन खातों में जमा में अचानक उछाल आया था. बीते साल ही केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने रिजर्व बैंक को नोटबंदी के दौरान चलन से हटाए गए नोटों में अलग-अलग बैंकों के जनधन खातों में जमा की गई राशि का खुलासा करने का निर्देश दिया था.

कुल जमा राशि 81,200 करोड़ रुपये

2014 में शुरू हुई प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत अप्रैल 2018 तक ग्रामीण क्षेत्रों में 60% बैंक खाते खोले गए. वहीं इस अवधि में देशभर में कुल 32.41 करोड़ जन धन खाते खुले हैं. जबकि खातों में कुल जमा राशि 81,200 करोड़ रुपये थी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर, 2016 में जन धन खातों में 0 बैलेंस खातों की संख्या घट कर 24 फीसदी रह गई जबकि दिसंबर, 2014 में यह 73 फीसदी थी. इसके अलावा 83 फीसदी से भी अधिक सक्रिय जन धन खातों (असम, मेघालय, जम्मू-कश्मीर राज्यों को छोड़कर) को ‘आधार’ से जोड़ दिया गया है.

इन खाता धारकों को लगभग 24.4 करोड़ रुपे कार्ड जारी किए गए हैं. अगर डायरेक्‍ट बेनिफिट ट्रांसफर की बात करें तो 7.5 करोड़ से भी अधिक जन धन खातों में इसका इस्‍तेमाल हो रहा है.बता दें कि देश का कोई भी नागरिक जन धन योजना के तहत बैंकों में अपना खाता खुलवा सकता है. इस योजना के तहत 10 साल से छोटे बच्चे का खाता भी खोला जा सकता है.

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