इंफाल: मणिपुर में आर्म्ड फोर्सेस स्पैशल पावर एक्ट यानी AFSPA के खिलाफ पिछले 16 सालों से भूख हड़ताल कर रहीं इरोम शर्मिला ने आखिरकार मंगलवार को अपना अनशन खत्म कर दिया है। हालांकि उनकी सेहत को लेकर चिंताओं के मद्देनजर अधिकारी मंगलवार शाम उन्हें फिर से वापस अस्पताल ले गए। वहीं इरोम ने कहा कि जीसस या गांधी नहीं बनना चाहती, मैं आम इंसान हूं और वहीं रहना चाहती हूं। मैं और लोगों की तरह सामान्य हूं, मैं कोई संत-महात्मा नहीं हूं। मैं अच्छी भी हूं, बुरी भी, क्या मुझमें कमियां नहीं हो सकती? मुझमें बहुत कमियां हैं। लोग क्यों मुझे संत बनाकर रखे हुए हैं। लोग मुझे बस अपनी ही नजरों से देखना चाहते हैं, मैं इस तरह की जिंदगी से तंग आ चुकी हूं। उन्होंने कहा कि लोग अगर चाहते हैं कि उनकी ख़्वाहिशें मेरे खून से ही धुलें तो मैं इसके लिए तैयार हूं, गांधीजी की तरह। यह कहते हुए इरोम शर्मिला की आंखेंं नम हो गई। इरोम ने यह सारी बातें आज एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहीं। ये मीडिया को दिया उनका पहला इंटरव्यू था।
16 साल नज़बरंद रहना कितना मुश्किल था के सवाल पर इरोम ने कहा कि उन्हें बहुत ज़्यादा अलग-थलग महसूस होता था। जब गांधीजी ने आज़ादी की लड़ाई लड़ी तो वे लोगों के साथ जुड़े रहे लेकिन मैं हमेशा से लोगों से कटी हुई थी, जैसे मैं कोई अपराधी थी, मैं ऐसे हालात में भी थी जो मुझे बर्दाश्त नहीं। अपनी आजादी के सवाल पर इरोम ने कहा कि उन्हें आज़ादी का पूरा हक़ है, एक आजाद परिंदे की तरह वे भी कोई बाउंडरी नहीं चाहती, जहां जाना चाहें जाएं, एक परिंदे की तरह इस डाल से उस डाल पर। उन्होंने कहा कि यह आजादी जात-पात, धर्म की सीमाओं से परे।