इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मंगलवार को देशभर के निजी अस्पतालों में रोजमर्रा की सेवाओं को निलंबित रखने के लिए 12 घंटों के बंद का आह्वान किया है। बंद का असर निजी अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं पर दिख रहा है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह लेगी। आईएमए इसका विरोध कर रही है।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक पर मंगलवार को संसद में चर्चा हो सकती है। विधेयक में प्रस्ताव है कि भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सक एक ‘ब्रिज कोर्स’ पूरा कर लेने के बाद एलोपैथी डॉक्टर की तरह प्रैक्टिस कर सकते हैं। आईएमए के मुताबिक इससे बड़े पैमाने पर चिकित्सा का स्तर गिरेगा और यह मरीज की देखभाल और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ होगा। आईएमए की मांग है कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के तहत प्रैक्टिस के लिए एमबीबीएस का मानक बना रहना चाहिए।
केरल, कर्नाटक समेत कई राज्यों से बंद के असर की खबरें आ रही हैं। केरल की राजधानी तिरूवनंतपुरम में डॉक्टरों ने राजभवन के बाहर प्रदर्शन किया।
तिरूवनंतपुरम में आईएमए की बंद का असर भी साफ दिखा। सामान्य अस्पताल में डॉक्टरों ने सुबह 9 से 10 बजे तक ओपीडी सेवाओं का बहिष्कार किया जिससे मरीजों की भीड़ जमा हो गई।
आईएमए के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेड़े ने ऐलान किया था कि, ‘एनएमसी विधेयक 2017 जन विरोधी और गरीब विरोधी, अलोकतांत्रिक और अपने चरित्र में गैर-संघीय है। इसलिए देशभर में रोजमर्रा की सभी सेवाएं सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक बंद रहेंगी।’ आईएमए के 2.77 लाख सदस्य हैं जिसमें निजी अस्पताल, पॉली क्लिनिक और नर्सिंग होम शामिल हैं। आईएमए के ऐलान से निजी अस्पतालों में ओपीडी और वैकल्पिक सर्जरी की सेवाएं बंद रहेंगी।
आईएमए के प्रस्तावित बंद के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को केंद्र सरकार द्वारा संचालित एम्स, सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज समेत सभी सरकारी अस्पतालों से स्वास्थ्य सेवाएं और आपातकालीन सेवाएं सुचारु रूप से जारी रखने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा।
हालांकि कर्नाटक के हुबली में विवेकानंद सामान्य अस्पताल में सन्नाटा पसरा हुआ है। डॉक्टरों ने मंगलवार को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक बंद के समर्थन में कामकाज बंद कर दिया है।
एनएमसी विधेयक का विरोध करती रही आईएमए का कहना है कि, यह विधेयक डॉक्टरों के कामकाज को ‘अपंग’ बना देगा, जिससे डॉक्टर सिर्फ नौकरशाही और गैर-चिकित्सा प्रशासकों के प्रति पूरी तरह से उत्तरदायी हो जाएंगे। आईएमए ने इसके विरोध में मंगलवार को ‘काला दिवस’ घोषित किया।
आईएमए के सदस्य डॉक्टर पार्थिव सांघ्वी ने कहा है कि, ‘डॉक्टरी के पेशे के इतिहास में पहली बार ‘काला दिवस’ कहने के अलावा केंद्र सरकार ने हमारे पास कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। ‘नेशनल मेडिकल कमिशन को ना कहना पूरे चिकित्सा समुदाय के साथ-साथ हर रोगी के लिए एक नारा है।’
एनएमसी विधेयक 2017 लोकसभा में शुक्रवार को पेश किया गया था। आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल और अध्यक्ष रवि वानखेड़े केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा से मिलकर विधेयक में व्यापक संशोधन की मांग की है।
डॉक्टरों के हड़ताल के मुद्दे पर मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यसभा में बताया कि, ‘आईएमए के सदस्यों से सोमवार को बातचीत हुई है। हमने उनकी बातें सुनी और अपना नजरिया भी सामने रखा।’