नई दिल्ली (एजेंसी)। जेलों में बंद नेताओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध संबंधी फैसले पर पुनर्विचार करने की सरकार की याचिका मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने नामंजूर कर दी। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि चूंकि जेल भेजे जाने के साथ ही मतदान का अधिकार खोने के कारण नेता चुनाव लड़ने का भी अधिकार नहीं रखते। जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन का उल्लेख करते हुए न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक एवं न्यायमूर्ति सुधांशु ज्योति मुखोपाध्याय की पीठ ने कहा ‘‘जनप्रतिनिधित्व (संशोधन एवं वैधानीकरण) विधेयक 2०13 के परिणामस्वरूप एक व्यक्ति हिरासत या जेल में बंद रहने के कारण निर्वाचक नहीं रह सकता और इसीलिए वह विधानसभा और संसद का चुनाव नहीं लड़ सकता।’’ न्यायमूर्ति पटनायक ने अदालत में अपना फैसला सुनाते हुए कहा ‘‘पुनर्विचार याचिका इसलिए निरस्त की जाती है।’’