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निजी स्कूल एसोसिएशन ने CM सोरेन से की राज्य के 45000 स्कूल खोलने की अपील

झारखंड में प्राइवेट स्कूल और चाइल्ड वेलफेयर एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से राज्य के 45000 स्कूलों को खोलने की मांग की है. एसोसिएशन की ओर से प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी मांग रखी. एसोसिएशन का कहना है कि लगभग सभी सेक्टर खुल चुके हैं. ऐसे में सरकार को 8वीं से लेकर 10वीं तक के स्कूल खोलने पर विचार करना चाहिए. एसोसिएशन की ओर से आलोक दुबे ने कहा, बिहार समेत कई राज्य सरकारें स्कूल खोलने की दिशा में कदम उठा रही हैं. ऐसे में एसओपी तैयार कर स्कूल खोले जाएं. उन्होंने कहा, सरकार तय करे कि 30% बच्चे बुलाने हैं या फिर 50% या उससे कम.

एसोसिएशन ने कहा, ग्रामीण इलाकों में स्कूलों में बच्चों की फीस 200-250 रुपए ली जाती है. ऐसे स्कूलों की हालत दयनीय है. वे बंद होने की कगार पर हैं. स्कूल से मिलने वाले शुल्क से शिक्षकों का घर चलता है. लेकिन डेढ़ साल से सब बंद है. ऐसे में प्राइवेट स्कूल के कर्मचारी और शिक्षक समस्याओं से जूझ रहे हैं. ऐसे में सरकार को इस दिशा में सोचना चाहिए. ज्ञापन में कहा गया कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को मोटी रकम दी जा रही है. जबकि प्राइवेट स्कूलों में संचालक परेशानियों का सामना कर रहे हैं. निजी स्कूलों के खिलाफ ही एक साजिश के तहत माहौल बनाया जा रहा है.

मांग की गई है कि पिछले 16 महीने से लगातार बंद पड़े विद्यालयों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है. इसलिए बंद पड़े विद्यालयों के सभी बैंक लोन, बिजली बिल, वाहनों के ईएमआई, टैक्स, बीमा, बैंकों में वाहनों की किस्तों एवं किराए के मकानों में चल रहे विद्यालय भवनों के किराए से तत्काल सरकार राहत दे. साथ ही कोरोना काल में राहत के रूप में अनाज, सहयोग राशि समेत राहत पैकेज घोषित किया जाए. गैर मान्यता और मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों और उनके शिक्षक, सहायक कर्मियों और संचालक के लिए विशेष प्रावधान किया जाए.

एसोसिएशन ने मांग की है कि कोरोना महामारी लगभग समाप्त हो रही है. यूनिसेफ और WHO ने माना है कि अब स्कूल खोले जा सकते हैं. कई राज्यों में जुलाई से सभी स्कूल खोले जा रहे हैं. कई राज्यों में तैयारी चल रही है. झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों गरीब, दलित, आदिवासी बच्चे हैं, जिनके पास ऑनलाइन की सुविधा नहीं है. ऐसे में उनकी पढ़ाई पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. ऐसे बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर एसओपी जारी कर स्कूल खोलने पर विचार किया जाए.

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