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नोटबंदी की मार का भारत-पाक डिप्लोमेसी पर भी असर

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जानकारी के मुताबिक नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के डिप्लोमैट्स ने भारतीय बैंक से डॉलर में मिलने वाली अपनी सैलरी पर फंसे पेंच के बाद उसे लेने से ही मना कर दिया है।

इस्लामाबाद ने कड़ा ऐतराज जताते हुए धमकी दी है कि पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग के स्टॉफ को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक स्तर पर पिछले 3 दिनों से तनाव चल रहा है। डिप्लोमैट्स अपनी टैक्स फ्री सैलरी को डॉलर में निकाल सकते हैं। भारत में, अगर कोई डिप्टोमैट 5 हजार अमेरिकी डॉलर तक निकालता है तो उसे इसके लिए किसी कागजात की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन नोटबंदी की वजह से डॉलर्स की डिमांड में इतनी तेजी आई है कि इसकी कमी महसूस होने लगी है।

पाकिस्तानी उच्चायोग के स्टाफ की सैलरी अकाउंट आरबीएल बैंक में है जो प्राइवेट सेक्टर का बैंक है। बैंक अब डिप्लोमैट्स से डॉलर की निकासी पर लेटर्स ऑफ परपज मांगने लगा है, भले ही वह 5 हजार डॉलर से कम निकालें या ज्यादा।

पाकिस्तानी डिप्लोमैट्स ने इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। पाक ने कहा है कि अगर भारत में उसके स्टाफ को पहले की तरह डॉलर्स में सैलरी निकालने नहीं दिया गया, तो इसे वियना प्रोटोकॉल का उल्लंघन माना जाएगा।

आरबीएल ने विदेश मंत्रालय को बताया है कि नोटबंदी के बाद से मार्केट में डॉलर की जबरदस्त किल्लत है, इससे बैंक को डॉलर की व्यवस्था करने में काफी मुश्किल आ रही है।

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पाकिस्तान उच्चायोग ने भारतीय अधिकारियों को बता दिया है कि इसकी असल वजह भारत-पाक तनाव है और जानबूझकर पाकिस्तान को निशाना बनाया जा रहा है। उनका कहना है कि नोटबंदी इसके लिए जिम्मेदार नहीं है।

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