प्रदेश में 18 से बढ़कर 27 हुई जिला पंचायतों की संख्या
रायपुर. छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में रविवार को उनके निवास कार्यालय में मंत्रिपरिषद की बैठक हुई, जिसमें जिला पंचायतों के परिसीमन सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए.
प्रदेश में जिला पंचायतों के परिसीमन होने से अब जिला पंचायतों की संख्या 18 से बढ़कर 27 हो गई है. इससे जिला पंचायतों के क्षेत्र के आकार छोटे हो गए हैं. अधिकांश जिला पंचायतों में 10 से 15 सदस्य हैं. छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 47 की उपधारा (4) के तहत स्थायी समितियों में कम से कम 5 सदस्य होने चाहिए.
वर्तमान में कई जिला पंचायतों में सदस्यों की संख्या कम होने से स्थायी समितियों के गठन में दिक्कतें आ रही हैं. इसलिए स्थायी समितियों में 5 के स्थान पर 3 सदस्य करने का प्रस्ताव है. कैबिनेट ने छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 47 की उपधारा (4) में आवश्यक संशोधन करने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को अधिकृत किया है.
छत्तीसगढ़ फिजियोथेरेपी एवं ऑक्यूपेशनल थेरेपी परिषद विधेयक 2015 को मंत्रिपरिषद की बैठक में विधानसभा के अगले सत्र में पेश करने का निर्णय लिया गया. यह परिषद फिजियोथेरेपी एवं ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट का पंजीयन करेगी तथा संस्थाओं की गुणवत्ता एवं मापदंड का निर्धारण करेगी.
राज्य में फिजियोथेरेपिस्ट पंजीयन के उपरांत ही व्यवसाय कर सकेंगे. परिषद के पदेन अध्यक्ष संचालक चिकित्सा शिक्षा तथा 6 अन्य सदस्य होंगे. विधेयक में बिना पंजीयन के व्यवसाय करने वाले फिजियोथेरेपिस्ट के लिए नियमानुसार, एक लाख रुपये दंड का प्रावधान किया गया है तथा अनुवर्ती अपराध पर एक वर्ष तक के कारावास दंड का प्रावधान है.
मंत्रिपरिषद द्वारा रेंज पुलिस स्थापना बोर्ड के गठन का निर्णय लिया गया. इसमें संबंधित रेंज के पुलिस महानिरीक्षक इसके सभापति तथा उस रेंज के दो जिलों के पुलिस अधीक्षक इसके सदस्य होंगे. बोर्ड को निरीक्षक स्तर तक के पुलिस अधिकारियों का रेंज के अंतर्गत स्थानातंरण और पदस्थापना का अधिकार होगा.
छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण निधि अधिनियम 1982 संगठित क्षेत्र यानी कारखानों तथा उन स्थापनाओं पर प्रभावशील है जहां 9 से अधिक कर्मचारी कार्यरत होते हैं. इस अधिनियम के अंतर्गत संगठित क्षेत्र के श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण के लिए छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल का गठन किया गया है.
मंडल द्वारा श्रमिकों के कल्याण के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जाती हैं. मंडल योजनाओं का क्रियान्वयन कर्मचारियों एवं नियोजकों से प्राप्त अभिदाय तथा शासन द्वारा प्राप्त अनुदान की निधि से करता है.
राज्य में संगठित क्षेत्र के अंतर्गत 5 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं इन कर्मचारियों के पंजीयन के संबंध में इस अधिनियम में वर्तमान में कोई प्रावधान नहीं है, जिसके कारण समस्त कर्मचारियों को युक्तियुक्त ढंग से योजना के अंतर्गत हित लाभ प्राप्त नहीं हो पाता. इसलिए संगठित क्षेत्र के समस्त कर्मचारियों को पंजीकृत करने प्रावधान रखे जाने के लिए छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण निधि (संशोधन) विधेयक 2015 लाने का निर्णय लिया गया है.
मंत्रिपरिषद द्वारा पंचायतों तथा नगरीय निकायों को राज्य की समेकित निधि से दिए जाने वाले राजस्व के अंश की अनुशंसा करने वाले राज्य वित्त आयोग को बहुसदस्यीय बनाने के लिए विधानसभा के आगामी सत्र में संशोधन विधेयक लाने का निर्णय लिया गया है.
राज्य वित्त आयोग संविधान के अनुच्छेद 243 (झ) के अंतर्गत पंचायतों एवं नगरीय निकायों को सौंपे गए कार्यों के लिए राज्य के राजस्व का क्या हिस्सा दिया जाए, इस संबंध में अनुशंसाएं करता है. इसका गठन हर पांच वर्ष में किया जाता है. वर्तमान में छत्तीसढ़ राज्य वित्त आयोग अधिनियम 1994 में आयोग के लिए एक अध्यक्ष व एक सदस्य का प्रावधान है.
द्वितीय राज्य वित्त आयोग द्वारा आयोग के कार्यभार और विशेषज्ञता को देखते हुए अगले राज्य वित्त आयोग को बहुसदस्यीय बनाने की अनुशंसा की गई थी, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार किया था. इसी अनुक्रम में आज मंत्रिपरिषद द्वारा अगले विधानसभा सत्र में आयोग की संरचना को एक अध्यक्ष और दो सदस्य बनाने के लिए विधेयक प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया है.