इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद को लेकर फ्रांस के साथ हुए सौदे की जांच अदालत की निगरानी में कराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा था कि प्रक्रिया में विशेष कमी नहीं रही है और केंद्र के 36 विमान खरीदने के फैसले पर सवाल उठाना सही नहीं है। न्यायालय का कहना था कि विमान की क्षमता में कोई कमी नहीं है।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने की थी। न्यायमूर्ती रंजन गोगोई ने कहा था कि ऑफसेट पार्टनर और व्यक्तियों की धारणा का चयन करने में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है। यह रक्षा खरीद के संवेदनशील मुद्दे में पूछताछ का कारण नहीं हो सकता है। हम 126 एयरक्राफ्ट खरीदने के लिए सरकार को मजबूर नहीं कर सकते हैं और अदालत के लिए इस मामले के हर पहलू की जांच करने के लिए उचित नहीं है। मूल्य निर्धारण विवरण की तुलना करना अदालत का काम नहीं है।
बता दें कि राफेल सौदे को लेकर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के खिलाफ पिछले कई महीनों से मोर्चा खोल रखा है। इस लिहाज से यह पुनर्विचार याचिका खासा महत्त्व रखती है। विपक्ष ने आरोप लगाया गया है कि यह सौदा एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया और सौदे में तय प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया है।