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फ्री कैश फ्लो देखकर बाजार में लगाएं बाजी

मुंबई : कोई कंपनी अच्छी है या नहीं, इसे परखने के लिए मार्केट एनालिस्ट मुनाफे में बढ़ोतरी की रफ्तार देखते हैं। नेट प्रॉफिट का संबंध अर्निंग पर शेयर (ईपीएस) और प्राइस टु अर्निंग (पीई) रेशियो से भी होता है, जिनसे किसी शेयर के सस्ता या महंगा होने का पता लगाया जाता है। हालांकि नेट प्रॉफिट से यह पता नहीं चलता कि किसी कंपनी के पास कितना कैश है। हो सकता है कि कोई कंपनी उधार लेकर बिजनस बढ़ा रही हो और वह ग्राहकों के भुगतान करने से पहले इनकम स्टेटमेंट में आमदनी और नेट प्रॉफिट दिखा रही हो। इसलिए इनकम स्टेटमेंट में नेट प्रॉफिट दिखाने के बावजूद कंपनी को कैश की कमी हो सकती है, जिससे उसके वर्किंग कैपिटल मैनेजमेंट पर असर पड़ सकता है। इसलिए अगर आप सिर्फ नेट प्रॉफिट के भरोसे रहे तो किसी कंपनी की सॉल्वेंसी और फाइनेंशियल स्ट्रेंथ की वास्तविक तस्वीर पता नहीं चलेगी। फ्री कैश फ्लो (एफसीएफ) से पता चलता है कि किसी कंपनी के पास कितना सरप्लस कैश है। इससे नेट प्रॉफिट के बरक्स कंपनी की प्रॉफिटेबिलिटी की सही तस्वीर सामने आती है। यह वह पैसा होता है, जिसका इस्तेमाल कंपनी कर्ज घटाने, डिविडेंड देने और ग्रोथ के लिए कर सकती है।

कंपनी के ऑपरेटिंग कैश फ्लो में से कैपिटल एक्सपेंडिचर की रकम घटाने के बाद आपको एफसीएफ मिलता है। कैपिटल एक्सपेंडिचर वह रकम होती है, जिसका इस्तेमाल कोई कंपनी प्लांट, मशीनरी और दूसरे इच्पिमेंट में करती है। कहने का मतलब यह है कि कंपनी इससे फिक्स्ड एसेट्स तैयार करती है। नेट प्रॉफिट की तरह एक तय अवधि में एफसीएफ को देखकर किसी कंपनी की वित्तीय सेहत के बारे में राय बनानी चाहिए। एफसीएफ में बढ़ोतरी अच्छा संकेत होता है। इससे पता चलता है कि कंपनी सरप्लस कैश जेनरेट कर रही है, जिसे वह बिजनेस में लगा सकती है। नेगेटिव एफसीएफ से पता चलता है कि कंपनी बिजनेस को सपोर्ट करने के लिए कैश जेनरेट नहीं कर पा रही है, लेकिन यह हमेशा बुरा नहीं होता। कई बार कंपनियां बड़ा निवेश करती हैं, जिसके चलते कुछ समय तक उनका एफसीएफ नेगेटिव हो सकता है। हालांकि, इससे लॉन्ग टर्म में वह अच्छा रिटर्न जेनरेट कर सकती है। अगर एफसीएफ लंबे समय तक नेगेटिव है तो उसकी बारीक पड़ताल करनी चाहिए क्योंकि इससे कंपनी के वजूद पर सवालिया निशान लग जाता है।

आयशर मोटर्स
कंपनी ऑटोमोबाइल सेक्टर में है और यह रॉयल एनफील्ड बाइक्स भी बनाती है। देश के प्रीमियम मोटरसाइकल सेगमेंट में यह मार्केट लीडर है। ब्रोकरेज फर्म एंबिट कैपिटल का मानना है कि एक्सपोर्ट मार्केट में कंपनी की प्राइसिंग पावर बढ़ी है, उसका स्केल बड़ा हो रहा है और कंपोनेंट के लोकर प्रॉडक्शन से कंपनी के ऑपरेटिंग मार्जिन में बढ़ोतरी होगी। सिस्टेमेटिक इनवेंटरी कंट्रोल और जनवरी-मार्च तिमाही के सीजनली मजबूत रहने की वजह से कंपनी के प्रॉडक्ट्स की रिटेल डिमांड बढ़ेगी। ब्लूमबर्ग के कंसेंसस एस्टिमेट के मुताबिक, कंपनी की आमदनी और एडजस्टेड ईपीएस ग्रोथ 2018-19 में क्रमश: 13.9 और 23.8 पर्सेंट बढ़ सकती है।

मारुति सुजुकी इंडिया
यह जापान की सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन की सब्सिडियरी है। कंपनी पैसेंजर कार, कंपोनेंट और स्पेयर पार्ट्स बनाती है। वे2वेल्थ रिसर्च के मुताबिक, मारुति लॉन्ग टर्म स्ट्रक्चरल ग्रोथ की तरफ बढ़ रही है। देश में प्रति व्यक्ति कार चीन और विकसित देशों की तुलना में काफी कम है। इसलिए मारुति की ग्रोथ लंबे समय तक काफी अच्छी रह सकती है। ब्लूमबर्ग के कंसेंसस एस्टिमेट के मुताबिक, 2018-19 में कंपनी की आमदनी में 12.5 पर्सेंट और एडजस्टेड ईपीएस में 3.7 पर्सेंट की बढ़ोतरी होगी।

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज
यह आईटी सर्विसेज, कंसल्टिंग और बिजनेस सॉल्यूशन कंपनी है, जो मार्जिन के मोर्चे पर दिसंबर 2018 तिमाही में एनालिस्टों की उम्मीद पर खरी नहीं उतरी है। हालांकि, एमके ग्लोबल का मानना है कि नई डील्स और अलग पोजिशनिंग की दौलत टीसीएस के शेयर प्राइस में दूसरी बड़ी आईटी कंपनियों की तुलना में अधिक तेजी आ सकती है। सबसे बड़ी बात यह है कि मैक्रो इकनॉमी संबंधी चिंताओं और मार्केट डायनेमिक्स के खराब रहने पर भी लंबे समय में इसकी ग्रोथ जारी रहेगी। ब्लूमबर्ग के कंसेंसस एस्टिमेट के मुताबिक, इस वित्त वर्ष में कंपनी की आमदनी में 19 पर्सेंट और एडजस्टेड ईपीएस में 24.3 पर्सेंट की बढ़ोतरी हो सकती है।

जीएसके कंज्यूमर हेल्थकेयर
कंपनी हेल्थ फूड ड्रिंक्स इंडस्ट्री में ऑपरेट करती है और उसके पास हेल्थकेयर फूड और फार्मास्युटिकल्स ड्रग का बड़ा पोर्टफोलियो है। जेपी मॉर्गन कंपनी पर प्राइसिंग पावर, कॉम्पिटीटिव एडवांटेज, डिस्ट्रीब्यूशन एक्सपैंशन इनीशिएटिव और एक्सपैंडेड प्रॉडक्ट पोर्टफोलियो की वजह से बुलिश है। ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि प्रॉडक्ट के दाम बढ़ाने से कंपनी के मार्जिन में इजाफा होगा। उसे इनोवेशन और लागत कम करने संबंधी पहल का भी लाभ होगा। ब्लूमबर्ग के कंसेंसस एस्टिमेट के मुताबिक, कंपनी की आमदनी में 10.3 पर्सेंट और एडजस्टेड ईपीएस में इस वित्त वर्ष में 24.9 पर्सेंट की बढ़ोतरी होगी।

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