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बड़ा ख़ुलासा : आकाशवाणी की मदद से नक्सलियों तक पहुंचाई जा रही खुफिया जानकारी!

रांची। झारखंड के जंगलों में ठिकाना बनाए बैठे नक्सलियों तक सूचनाएं आकाशवाणी के माध्यम से पहुंचाई जा रही थी। पिछले एक सप्ताह के दौरान प्रसारित कार्यक्रमों में नक्सलियों के उपयोग की सूचनाएं प्रसारित की गई हैं। यह खुलासा शीर्ष माओवादी नेता जुनास कांडुलना से पूछताछ में हुआ है। सुरक्षा के लिहाज से मोबाइल नेटवर्क से दूरी बनाकर चल रहे नक्सली संगठन जानकारियों के आदान-प्रदान के लिए रेडियो नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं।

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पश्चिमी सिंहभूम पुलिस की जांच आकाशवाणी के चाईबासा केंद्र से प्रसारित होने वाले स्थानीय भाषाओं के कार्यक्रमों पर पहुंच गई है। सुरक्षा बलों को आशंका है कि रेडियो स्टेशन से प्रसारित होने वाले स्थानीय कार्यक्रम के जरिए कोड वर्ड में सारंडा जंगल सहित तमाम दुर्गम क्षेत्रों में सक्रिय भाकपा माओवादियों के विभिन्न दस्तों को सूचना पहुंचाई जा रही थी।

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पुलिस अधीक्षक अनीश गुप्ता के निर्देश पर इस पूरे मामले की जांच एएसपी (अभियान) मनीष रंजन तथा सदर डीएसपी प्रकाश सोय को सौंपी गई है। पुलिस ने स्टेशन डायरेक्टर से चाईबासा केंद्र से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम एवं कर्मचारियों के संबंध में ब्योरा तलब किया है। पूर्व में यहां से रिकार्डेड प्रसारण होता था लेकिन हाल के दिनों में यहां से लाइव प्रसारण किया जाने लगा। यह बदलाव किन वजहों से, किसके निर्देश पर और कब से किया गया , इसकी भी जांच की जा रही है।

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एक दशक पुराने नेटवर्क को किया जिंदा : करीब एक दशक पहले चाईबासा के रेडियो सेंटर से जुड़े कुछ कर्मचारी व उद्घोषक की माओवादियों से जुड़े होने की सूचनाएं प्राप्त हुई थीं। इस मामले में तत्कालीन पुलिस प्रशासन ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया था। सूचना मिल रही है कि नक्सलियों ने इस पुराने नेटवर्क को नये सिरे से सक्रिय कर दिया है। मोबाइल लोकेशन ट्रेस होने से बचने के लिए माओवादियों के शीर्ष नेताओं ने एक बार फिर सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए पुरानी तकनीक पर भरोसा जताया।
 

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