बड़ी संख्या में नौकरियां बढ़ाने के लिए नीति आयोग ने दिया यह सुझाव, जानिए
नई दिल्ली: जॉबलेस ग्रोथ के आरोप ङोल रही सरकार को नीति आयोग ने नई नौकरियां पैदा करने का एक अहम रास्ता सुझाया है। आयोग ने रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए तटीय क्षेत्रों में कोस्टल एम्लॉयमेंट जोन बनाने का सुझाव दिया है। जोन में दस हजार रोजगार देने वाली कंपनियों को जीएसटी में तीन साल की और बीस हजार नौकरियां देने वाली कंपनियों को छह साल की छूट देने का सुझाव दिया गया है। इसके अलावा नीति आयोग ने इन कंपनियों को पांच साल तक कॉरपोरेट टैक्स के भी छूट देने की सलाह दी है। सरकार को अगर आयोग का यह सुझाव रास आता है तो नई नौकरियों का सृजन करने वाली कंपनियां निश्चित अवधि तक टैक्स फ्री कारोबार कर सकेंगी। आयोग ने अगले दो-तीन वर्ष में देश की विकास दर भी आठ फीसदी से अधिक होने की उम्मीद जतायी है।
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आयोग ने यह अहम सुझाव देश के विकास की तीन वर्षीय कार्ययोजना में पेश किया। कार्ययोजना केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया ने बृहस्पतिवार को जारी की। इसमें वर्ष 2017-18 से 2019-20 की अवधि के लिए अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों, न्यायपालिका, नियामक क्षेत्र और सामाजिक क्षेत्र में सुधार सुझाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इस साल 23 अप्रैल को हुई नीति आयोग की गवर्निग काउंसिल की बैठक में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कई केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में इस कार्ययोजना के मसौदे पर विचार किया गया था। इसके बाद विशेषज्ञों के सुझाव और राज्यों की प्रतिक्रियाओं को समाहित करते हुए नीति आयोग ने इस कार्ययोजना को अंतिम तौर पर जारी किया है।
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आयोग ने कहा कि अगले दो-तीन वर्ष में देश आठ प्रतिशत से ऊपर विकार दर हासिल कर सकता है। इसलिए आने वाले दशक में गरीबी की दर में कमी आने की अच्छी संभावना है। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2016-17 में भारत की विकास दर घटकर 7.1 प्रतिशत रह गयी है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के लिए केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय 31 अगस्त को आंकड़े जारी करने जा रहा है। 1इस कार्ययोजना में 2024 के लोकसभा चुनाव और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की पूर्व में दिए गए आयोग के सुझाव को दोहराया गया है। हालांकि एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि इसमें कृषि पर टैक्स संबंधित विवादित प्रावधान को स्पष्ट कर दिया गया है। अब इसमें कहा गया है कि जो लोग गैर-कृषि आय को कृषि आय के तौर पर दिखाते हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।