बादल व कैप्टन सूबे में न्याय प्रणाली का बना रहे हैं मजाक: खेहरा
चंडीगढ़, लुधियाना: पंजाब विधान सभा में विरोधी पक्ष के नेता सुखपाल सिंह खेहरा ने रविवार को कैप्टन अमरिन्दर सिंह और बादलों पर पंजाब में न्याय प्रणाली का मजाक बनाने का इल्जाम लगाया। ‘आप’ नेता अमर सिंह सेखों और उसके भाई पर कांग्रेसियों की तरफ से किये हमले के बाद डीएमसी हस्पताल में उनका हाल पूछने उपरांत लुधियाना में पत्रकारों को संबोधन करते खहरा ने कहा कि विजीलैंस ब्युूरो की तरफ से 1150 करोड़ के लुधियाना सिटी सैंटर घोटाले में कलौजर रिपोर्ट से यह सिद्ध होता है कि कैप्टन और बादल परिवार आपस में मिले हुए हैं और अपनी सुविधा अनुसार एक दूसरे खिलाफ दर्ज किये केस बंद करवा रहे हैं। खेहरा ने कहा कि कैप्टन और बादल परिवार के बीच चुनावों से पहले हुए समझौते मुताबिक तब की अकाली सरकार ने अपने कारजकाल के खत्म होने से पहले ही कैप्टन अमरिन्दर सिंह खिलाफ चल रहे घोटाले के मामले में कलौजर रिपोर्ट फायल कर दी थी।
उन्होंने कहा कि 2007 में बादलों ने बड़े जोर शोर के साथ कैप्टन अमरिन्दर के खिलाफ लुधियाना सिटी सैंटर घोटाले के मामले में केस दर्ज करवाया था। उस समय कैप्टन अमरिन्दर सिंह उन के सुपुत्र और टू डे होम्स ग्रुप समेत 36 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। जिस में 106 पेजों की चार्ज सीट और 10 हजार सबूत पेश किए गए थे। उन्होंने कहा कि 10 साल का समय और सरकारी खजाने में से करोड़ों रुपए खर्च करने उपरांत अब यह सिद्ध किया जा रहा है कि इस केस में कोई भी अनियमता नहीं पाई गई। उन्होंने कहा कि यह न्याय प्रणाली का मजाक नहीं तो ओर क्या है। खेहरा ने कहा कि क्यों जो बादलों ने कैप्टन अमरिन्दर सिंह खिलाफ चल रहे केस वापिस लिए हैं इसी कारण ही मुख्य मंत्री अपने कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के कहने पर भी केबल माफिया और रेत घोटाले जैसे मामलों में कोई भी कार्यवाही करने से कतरा रहे हैं। खहरा ने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह और बादलों के बीच सूबे को मिल कर लूटने का इकरार हुआ है और वह बाद में एक दूसरे को कालीन चिट्ट दे देते हैं।
खेहरा ने कहा कि दोनों परिवारों की तरफ से एक दूसरे खिलाफ चल रहे केस वापिस लेने से यह बात अब सिद्ध हो गई है कि यह केस सिर्फ लोग दिखावे और पंजाब के लोगों को बुद्धू बनाने के लिए किये जाते हैं। उन्होंने कहा कि साल 2003 में उस समय मुख्य मंत्री रहते कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बादलों के खिलाफ आमदनी से अधिक जायदाद का केस दर्ज किया था परंतु सरकार बनने के बाद बादल पिता पुत्र ने सरकार मशनीरी का दुरुपयोग करते हुए इस केस को खत्म कर दिया था। विरोधी पक्ष के नेता ने पूछा की क्यों कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस मामले में माननीय हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाय। विरुधी पक्ष के नेता ने कहा कि अमरिन्दर सिंह का लुधियाना सिटी सैंटर से बरी होना पंजाब के निवासियों पर भी फालतू भार पड़ेगा। क्यों जो इस मामले में बरी होने के बाद पंजाब सरकार को टू डे होम्स ग्रुप को करीब 1100 करोड़ रुपए देने पड़ेंगे।