नई दिल्ली। संत निरंकारी प्रमुख बाबा हरदेव सिंह जी की शव यात्रा बुधवार सुबह आठ बजे शुरू हुई और 12 बजे निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार किया जाना था लेकिन भीड़ के चलते देर हो गई। निरंकारी मिशन के प्रमुख रहे बाबा हरदेव सिंह की इस अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा और भारतीय अनुयायियों के अलावा विदेश से भी उनके अनुयायी इसमें शामिल हुए।
अंतिम संस्कार के बाद श्रद्धांजलि समारोह ग्राउंड-2 बुराड़ी रोड पर 3 से 7 बजे तक संगत (मंच पर विचार करने की रस्म) करने के बाद नए गुरु की ताजपोशी होगी।
बाबा हरदेव सिंह के निधन के बाद अब मंगलवार रात यह तय हुआ है कि उनकी पत्नी सविंदर कौर को मिशन के प्रमुख के रूप में चुना गया है।
संत निरंकारी मिशन ने सोशल साइट पर भी इसकी जानकारी देते हुए लिखा है कि सतगुरु बाब हरदेव सिंह 13 मई को निरंकार में लीन हो गए। उनके जाने से सभी भक्त दुखी हैं। अब उनकी जगह उनकी पत्नी सविंदर कौर को निरंकारी मिशन का धार्मिक प्रमुख बनाया जाएगा।
बैठक में हुए निर्णय के बाद माता सविंदर कौर को सतगुरु की शक्तियों की निशानी सफेद दुपट्टा भेंट किया गया। मिशन के प्रमुख के रूप में चुने जाने के बाद माता सविंदर कौर ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि अब बाबा की बातों को आगे बढ़ाना है।
आज अंतिम संस्कार
निधन के बाद सुबह आठ बजे से ग्राउंड नंबर 8, बुराड़ी रोड से बाबा हरदेव सिंह की अंतिम यात्रा निकाली जा रही है, जो निगमबोध घाट पर संपन्न होगी।
उनकी अंतिम यात्रा के लिए तैयारी चल रही है। सरोवर ग्राउंड पर लगभग एक लाख लोग मौजूद हैं।
यहां पर याद दिला दें कि कनाडा में सड़क हादसे में निधन होने के बाद निरंकारी समुदाय के प्रमुख हरदेव सिंह का पार्थिव शरीर सोमवार सुबह दिल्ली लाया गया था। उनका पार्थिव अंतिम दर्शन के लिए बुराडी रोड स्थित ग्राउंड नंबर आठ में रखा है। निरंकारी बाबा के अनुयायियों की संख्या को देखते हुए उनका शव आज तक अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था।
हादसे में एक दामाद की भी मौत
गौरतलब है कि 13 मई को कनाड़ा में एक सड़क हादसे में निरंकारी बाबा गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें इलाज के लिए तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। हादसे के वक्त निरंकारी बाबा के दामाद सन्नी गाड़ी चला रहे थे, उन्हें भी गंभीर चोटें आईं है और उनका इलाज चल रहा है। वहीं, दूसरे दामाद अवनीत सेतिया को अस्पताल में मृत घोषित किया गया था।
जानें निरंकारी समुदाय के बारे में
निरंकारी समुदाय की उत्पत्ति पंजाब के उत्तर-पश्चिम में बसे रावलपिंडी से हुई जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। इस समुदाय की स्थापना सहजधारी सिख बाबा दयाल सिंह और एक स्वर्ण व्यापारी ने की थी। ब्रिटिश राज में हालांकि इस समुदाय को दरकिनार कर दिया गया। बाद में 1929 में संत निरंकारी मिशन की स्थापना हुई।वर्तमान में इस समुदाय के करोड़ों अनुयायी भारत से लेकर विदेशों में फैले हैं।