अजब-गजब

बीपोओ में काम करने वाले भारतीय होते नस्लभेदी का शिकार

रिपोर्टस की माने तो आज के वक्त में सबसे ज्यादा डिप्रेशन और तनाव में बीपोओ में काम करने वाले भारतीय है। ऐसा इसलिए क्योंकि  इनके साथ रोजाना दुर्व्यवहार होता है। खासतौर पर भारतीय काॅलर्स के साथ। जिन्हे नस्लभेदी का शिकार होना पङता है। विदेशी काॅलर भारतीयों को “जाॅब चोर ” तक कहकर पुकारते हैं।बीपोओ में काम करने वाले भारतीय होते नस्लभेदी का शिकार

“बीपीओ यानि बिजनेस प्रोसेस ऑउटसोर्सिंग सेंटर्स”  की हाल ही में आई रिपोर्ट के मुताबिक बीपोओ में काम करने वाले भारतीय को नस्लभेदी गंदी गंदी गालियाँ सुनी पङती है। जिसके कारण वो तनाव में चले जाते है। जिसमें सबसे ज्यादा नस्लभेदी का शिकार भारतीय होते है। इंटरनेशनल बीपोओ में काम करने वाले भारतीयों को ये कहकर गालियाँ दी जाती है कि उन्होंने उनकी नौकरियां चुराई है वो जाॅब चोर है।

ऐसा इसलिए क्योंकि भारत दुनिया की सबसे सस्ती लेबर मार्केट में से एक है जहां दूसरे देशो के मुकाबले सस्ते में वर्कर मिल जाते है। जिस वजह से बहुत सारी इंटरनेशनल कंपिनयों के  बीपीओ भारत में खोले गए। 1990 के बाद भारत में बीपीओ सेक्टर में लगातार इजाफा जिसे भारत बीपीओ का हब बन गया। लेकिन इसका नुकसान उन देशों को हुआ जहां से इन नौकरियों की कटौती हुई है । जिस वजह से यहां के लोग भारतीयों के साथ अपशब्द कहते है। क्योंकि ये लोग एक दूसरे देश के काॅलर से हेल्प लेने की बजाय अपने देश के काॅलर से हेल्प लेना या सामान खरीदना पसंद करते है।

इंग्लैड की यूनिवर्सटी ऑफ केंट ने दावा किया इसकी शुरुआत मंदी के दौर के बाद शुरु हुई जिसके बाद पश्चिमी देशों के लोगों का रुख भारतीयों के लिए खराब होता चला गया। क्योंकि इन लोगों को अपनी नौकरियों के आउटसोर्स होने का डर लगा रहता है। बीपोओ काम करने वाले भारतीय का कहना है कि “कस्टमर्स दारा गाली गलौज रोजाना की बात है। दिन में एक या दो काॅलर्स तो इंग्लिश में ही गाली दे ही देते है।” आपको बता दें जब भारत में बीपीओ सेक्टर की शुरुआत हुई थी उस वक्त कई कर्मचरियों को विदेश भेजा जाता था ताकि वो वहां की बोल चाल सीखकर आए। ताकि कस्टमर उनके इंडियन होने की पहचान न कर सकें। ये नस्भेदी टिप्पणियां अमेरिका में ट्रंप के राष्ट्रपति बने के बाद बहुत ज्यादा बढ गई है।

लेकिन इन सब में कही से भी बीपोओ में काम करने वाले भारतीय को दोष नही है। जिन्हें रोजाना इस प्रताङना  का शिकार होना पङता है । जिस वजह से इस सेक्टर में काम करने वाले वर्कर स्मोकिंग , नींद दवाइयों के आदि हो जाते है। बीपोओसेक्टर भारतीयों के लिए जाॅब हब है उनके साथ हो रही नेस्लभेदी प्रताङना उन्हे मानसिक तौर पर तोङ रही है जो एक गंभीर समस्या है।

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