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बड़ा खुलासा: मनमोहन सरकार ने रची थी मुलायम की सत्ता गिराने की साजिश

mulayam-singh-yadavएजेन्सी/  ऐसे समय में जब कांग्रेस उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को लेकर बीजेपी पर लगातार हमले कर रही है, वहीं नेहरु-गांधी परिवार के नजदीकी और यूपीए-1 में कानून मंत्री रहे हंसराज भारद्वाज ने चौंकाने वाला खुलासा किया है.

भारद्वाज के मुताबिक 2007 में कांग्रेस नेतृत्व कथित तौर पर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार को बर्खास्‍त करना चाहती थी, लेकिन उन्होंने इसका विरोध किया था.

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में भारद्वाज ने कहा कि कई मुद्दे पर वे कांग्रेस की विचारधारा से ऊब चुके थे और उसका समर्थन नहीं कर सकते थे. उन्होंने कहा की खासकर उत्तर प्रदेश और 2G स्पेक्ट्रम पर उन्होंने पार्टी लाइन का समर्थन नहीं किया. आपको बता दें कि यूपीए-2 में भारद्वाज को मनमोहन कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया था और उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल बना दिया गया था.

नेहरु-गांधी परिवार के करीबी रहे भारद्वाज इस बात से नाराज भी हैं कि उन्हें कांग्रेस ने दरकिनार कर दिया. उन्होंने कहा कि पार्टी ने कर्नाटक से वापस आने के बाद राजनैतिक तौर पर उन्हें दरकिनार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘मैं अब अपने आपको कांग्रेसी नहीं समझता.’

बीजेपी सरकार पर कांग्रेस द्वारा आर्टिकल 356 का गलत इस्तेमाल पर भारद्वाज ने कहा कि अरुणाचल और उत्तराखंड में राष्ट्रपति इस वजह से लगा क्योंकि वहां कांग्रेस में फूट पड़ी.

उन्होंने कहा,’एक बार जब मुख्यमंत्री अल्पमत में चला जाता है तो उसे बहुमत सिद्ध करना पड़ता है. लेकिन इस बीच, स्पीकर ने उन विधयाकों को अयोग्य घोषित कर दिया जिन्होंने सरकार के खिलाफ बगावत की. इसी वजह से फ्लोर टेस्ट नहीं हो पाया. यही हुआ है. इसमें राज्यपाल क्या कर सकता है. राज्यपाल तो जो वस्तुस्थिति होगी उसकी रिपोर्ट देगा.’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भी कई बार आर्टिकल 356 का दुरूपयोग किया है. चाहे वह बिहार में 23 मई 2005 की अर्धरात्रि में लगाया गया राष्ट्रपति शासन ही क्यों न हो. यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था जहां विधानसभा भंग किये जाने को असंवैधानिक करार दिया गया था.

भारद्वाज ने कहा कांग्रेस नेतृत्व चाहती थी कि मुलायम सरकार को भी बर्खास्त कर दिया जाए. उन्होंने कहा,”मुलयम के ऊपर लगातार भ्रष्टाचार को लेकर सरकार भंग करने का दबाव बनाया जा रहा था. मैंने सरकार को सलाह दिया कि मुलायम सरकार को सिर्फ करप्शन के आरोपों को आधार बनाकर नहीं गिराया जाना चाहिए. जब तक सरकार बहुमत में है, उन्हें सदन के फ्लोर पर चुनौती देनी चाहिए. लेकिन कांग्रेस मेरे इस सलाह से सहमत नहीं थी और यह विवादों में तब्दील हो गया.’

‘कांग्रेस का कोर ग्रुप चाहता था मुलायम सरकार को बर्खास्त कर दिया जाए. लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दुविधा में थे. अन्य सदस्यों का भी यह मत था कि राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाना चाहिए लेकिन मैंने इसका खुले तौर पर विरोध किया.’

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