महबूबा बोलीं- गठबंधन से आपत्ति थी तो 3 साल तक चुप क्यों रहे
जम्मू- कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भारतीय जनता पार्टी पर पलटवार किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि पुराने सहयोगी गलत आरोप लगा रहे हैं। हमारी सरकार ने जम्मू और लद्दाख से कभी भेदभाव नहीं किया है। ऐसे आरोपों की वास्तविकता का कोई आधार नहीं है।
हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि घाटी में लंबे समय से उथल-पुथल रहा है और 2014 की बाढ़ एक बड़ा झटका था, इस ओर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता थी। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कम विकास हुआ। हमने हमेशा गठबंधन के एजेंडे पर काम किया है।
महबूबा ने कहा कि भाजपा ने हम पर कई झूठे आरोप लगाए हैं। धारा 370 पर स्थति और पत्थरबाजों के खिलाफ केस वापस करने की बात पहले से तय थी। उन्होंने लिखा है कि कश्मीर में इस गठबंधन का एजेंडा राममाधव ने तैयार किया था, राजनाथ सिंह जैसे नेताओं ने इसे मंजूरी दी थी।
उन्होंने लिखा, “नतीजे सभी के सामने हैं। यदि कुछ भी है तो उन्हें (भाजपा) को अपने मंत्रियों के प्रदर्शन की समीक्षा करनी चाहिए, जम्मू के क्षेत्र का काफी हद तक प्रतिनिधित्व किया, अगर ऐसी कोई बात थीं, तो पिछले 3 वर्षों के दौरान इसके बारे में कोई भी राज्य या केंद्रीय स्तर की बात क्यों नहीं की।”
उल्लेखनीय है कि शनिवार को जम्मू पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सहयोगी रही पार्टी पीडीपी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि उसके विश्वासघात के कारण गठबंधन टूटा। उन्होंने कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस पर भी तीखा कटाक्ष करते हुए 2019 लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा का रोड मैप सामने रखा।
परेड में आयोजित रैली में 36 मिनट के भाषण में शाह ने कहा था कि वह जम्मू की जनता को बताने आए हैं कि पीडीपी से भाजपा का गठबंधन टूटने के तीन प्रमुख कारण रहे हैं। इनमें जम्मू-कश्मीर का संतुलित विकास किया जाना था। कश्मीर की तरह जम्मू और लद्दाख का विकास होना था, लेकिन यह नहीं हुआ। कश्मीर में शांति बनाए रखने के प्रयास और आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने के बजाय कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे। सेना के जवान की हत्या कर दी गई। पत्रकार की हत्या हो गई। ऐसे में गठबंधन तोड़कर सरकार से बाहर निकलने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। भाजपा को वोट जम्मू संभाग से मिले हैं।