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मायावती के मंच की ‘माया’ आप भी नहीं जानते होंगे, कुछ रोचक तथ्य

राजनीति में लब्बोलुआब मौजूदा दौर की मजबूरी बन गया है, या यूं कहें जरूरी हो गया है। बात वोटरों को लुभाने की हो, या वोटरों के बीच जाकर उनसे संवाद करने की, हर नेता हर कीमत पर अपना प्रभाव उन पर कुछ खास ढंग में जमाना चाहता है। यूपी में आखिरी दो दौर का मतदान बाकी है। रैलियों में सियासतदानों की जोर-आजमाइश भी चरम पर है। आज बात नेताओं के बयानों या घोषणाओं की नहीं होगी, बात उनके लब्बोलुआब की ही होगी। बात मायावती के मंच की ‘माया’ से शुरू करना ठीक होगा, क्योंकि बहन जी का मंच दूसरे नेताओं के मुकाबले कुछ खास ही ढंग में तैयार होता है और उस पर माने जाने वाले नियम-कायदे भी। जिन्हें अब तक या तो खुद मायावती या उनके करीबी ही जानते आए हैं।
 
मायावती के मंच की खास बात है इसकी थीम। बहुजन समाज पार्टी का थीम कलर नीला है। यह आपको भी पता है। पार्टी के बैनरों-पोस्टरों आदि में यह खूब दिखाई भी देता है, लेकिन उनके मंच की थीम वैसी नहीं है। माया का मंच अंदर से सफेदी से ऐसा सराबोर होता है कि मेज-कुर्सियों-सोफे और यहां तक की मेज पर रखे पेन तक का रंग भक सफेद होता है। सफेद रंग शांति और सफाई का सूचक होता है, शायद इसी उद्देश्य से माया का मंच सफेदी में नहाया होता है।

एबीपी न्यूज के संवाददाता उमेश पाठक की रिपोर्ट के मुताबिक मायावती के मंच के ही बगल में एक व्हाइट हाउस भी तैयार किया जाता है। नाम के मुताबिक यह सफेग होता है और इसे खास रिफ्रेशमेंट या फ्रैश होने के लिए बनाया जाता है। जलपान, आराम करने आदि की व्यवस्था का इसमें उचित खयाल रखा जाता है। खास बात यह है माया का व्हाइट हाउस ब्लैक कैट कमांडो की मौजूदगी में ही होता है। पूरी तरह से वातानुकूलित व्हाइट हाउस तभी खुलता है जब मायावती इसमें आती है। कुछ लोगों के बैठने की सुविधा भी इसमें होती है।
 

चलिए, व्हाइट हाउस से फिर मंच पर आते हैं। मायावती मंच के जिस हिस्से से जनता को संबोधित करती हैं, वहीं ऊपर दो एसी लगे होते हैं, ताकि बाहर की गर्मी उन्हें न सताए। मंच पर यह खयाल रखा जाता है कि भीड़ कम ही रहे। जो उम्मीदवार माया के मंच को साझा करते हैं उनके लिए बैठने की व्यवस्था पीछे की तरफ की जाती है। आगे माया का सफेद सोफा होता है। खास बात यह है कि माया के मंच पर हर नेता को जूते उतारकर ही आने की इजाजत होती है।
 

मंच पर यह भी खयाल रखा जाता है कि जिस उम्मीदवार की जगह जहां तय की गई है, वह उसी जगह बैठे। अनुशासन इतना होता है कि मंच पर आसीन कोई भी नेता आपस में बेवजह मुंह नहीं खोल सकता है। यह भी नियम है कि जिस उम्मीदवार या नेता को माया का आशीर्वाद चाहिए या परिचय देना होता है, वह दूर से ही, तकरीबन दो हाथ के फासले से उनसे मुखातिब होता है।

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